नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी महासचिव नियुक्त किया है। उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया गया है। वे फिलहाल बेटी मिराया के ऑपरेशन के लिए लंदन गई हैं। 47 वर्षीय प्रियंका 1999 से हर लोकसभा चुनाव में प्रचार करती रही हैं। वे भाई राहुल के लिए अमेठी में और मां सोनिया गांधी के लिए रायबरेली में रैलियां करती हैं। लेकिन पार्टी में उन्हें पहली बार कोई पद दिया गया है। पिछले कई वर्षों से प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने की कांग्रेस के नेता मांग करते रहे हैं।
प्रियंका गांधी की एंट्री की वजह
1) पूर्वांचल के बनारस से मोदी सांसद, प्रचार अब मोदी बनाम प्रियंका हो सकता है
2014 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वडोदरा के साथ-साथ पूर्वांचल की सबसे अहम सीट बनारस से चुनाव लड़ा और जीता। बाद में उन्होंने बनारस को चुना और वडोदरा सीट छोड़ दी। यही वजह है कि राहुल ने यहां भाजपा को यहां हाईप्रोफाइल प्रचार में सीधी टक्कर देने के लिए प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल के दूसरे सबसे चर्चित शहर गोरखपुर से आते हैं। पूर्वांचल में योगी का बड़ा प्रभाव माना जाता है। भाजपा के उप्र अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय भी पूर्वांचल की चंदौली सीट से सांसद हैं।
2) सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं मिली
पिछले दिनों बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लाेकसभा चुनाव मिलकर लड़ने का ऐलान किया था। सपा और बसपा उत्तर प्रदेश की कुल 80 में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। सपा-बसपा ने इस गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किया लेकिन अमेठी और रायबरेली सीट उसके लिए छोड़ दी।
अखिलेश और मायावती का कहना था कि कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करने से वोटों के लिहाज से सपा-बसपा को कोई फायदा नहीं मिलता। इसी के बाद कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के लिए नए सिरे से रणनीति तय की। अब राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में फरवरी में ही 13 रैलियों के साथ प्रचार शुरू कर देंगे। इन रैलियों में उनके साथ प्रियंका भी नजर आ सकती हैं।
3) रायबरेली से सोनिया नहीं लड़ीं तो प्रियंका उम्मीदवार हो सकती हैं
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी को रायबरेली सीट से उतारा जा सकता है। अभी यहां से उनकी मां और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी चार बार से सांसद हैं। अस्वस्थता के चलते उन्होंने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार नहीं किया था।
सिंधिया भी महासचिव बने
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी कांग्रेस महासचिव बनाया गया है। उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, अशोक गहलोत की जगह केसी वेणुगोपाल को संगठन-महासचिव बनाया गया है। वेणुगोपाल कर्नाटक के प्रभारी भी होंगे। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को उत्तर प्रदेश की जगह हरियाणा का प्रभार दिया गया है।
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