अमृतसर. यहां के राजासांसी स्थित निरंकारी भवन में रविवार को ग्रेनेड से किए गए हमले और गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई। 20 जख्मी हुए। इनमें से एक की हालत नाजुक है। घटना सुबह 11 बजे की है। हमले के वक्त भवन में सत्संग चल रहा था। करीब 250 लोग मौजूद थे। धमाके के बाद दिल्ली के निरंकारी भवन की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
आईजी सुरिंदर पाल सिंह ने बताया, ‘‘शुरुआती जांच में पता चला है कि दो हमलावर बाइक से आए। यहां एक ग्रेनेड फेंका और फरार हो गए।’’ मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि पुलिस को घटना के पीछे विदेशी कट्टरपंथी संगठनों पर शक है।
आतंकी जाकिर मूसा भी हो सकता है हमले के पीछे
अलकायदा के आतंकी जाकिर मूसा के यहां कुछ लोगों से संपर्क में होने की सूचनाएं हैं। पिछले दिनों पठानकोट से कार हाईजैक कर चार संदिग्धों के पंजाब में घुसे होने की सूचना भी मिली थी। ये लोग जम्मू रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज में भी नजर आए थे। दिल्ली से सुरक्षा एजेंसियों ने पांच और संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा को मेल की गई थीं। इसके चलते पिछले कई दिनों से पंजाब में हाईअलर्ट था।

40 साल पहले निरंकारियों-अकालियों में हुई थी हिंसा
यह घटना ठीक वैसी ही है, जैसी कि पंजाब में उग्रवाद की शुरुआत के वक्त हुई थी। तब 13 अप्रैल 1978 को वैसाखी के दिन अमृतसर में निरंकारी भवन पर हमला किया गया था। इसके बाद अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, इसमें 13 अकाली कार्यकर्ता मारे गए थे। रोष दिवस में सिख धर्म प्रचार की संस्था के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। कई पर्यवेक्षक इस घटना को पंजाब में चरमपंथ की शुरुआत के तौर पर देखते हैं।
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