नई दिल्ली। राम मंदिर मसले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने नेता फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान सामने आया है। फारूख का कहना है कि राम मंदिर मसले को बातचीत से सुलझा लेना चाहिए था, इसे अदालत तक जाना ही नहीं चाहिए था। मुझे विश्वास है कि बातचीत के माध्यम से यह मसला हल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान राम सभी के हैं, वे केवल हिंदुओं के नहीं।
कोर्ट तक पहुंचना नहीं चाहिए था मसला : फारूक
अब्दुल्ला का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख दे दी हैं। वहीं, हाल में एक समाचार एजेंसी को दिए अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार राम मंदिर मसले पर अध्यादेश नहीं लाएंगे, इस मुद्दे पर अध्यादेश का फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जाएगा यानी मंदिर पर अदालत के फैसले का इंतजार करना होगा। हालांकि अब्दुल्ला का कहना है कि इस मामले को कोर्ट तक पहुंचना ही नहीं चाहिए था।
..तो खुद पत्थर लगाने जाऊंगा
इस बीच अब्दुल्ला ने यह भी कहा, ‘भगवान राम से किसी को कोई बैर नहीं है, न होना चाहिए। कोशिश करने चाहिए मामले को सुलझाने की और मंदिर बनाने की। जिस दिन ऐसा होगा, मैं खुद एक पत्थर लगाने जाऊंगा। जल्द समाधान होना चाहिए।’
गौरतलब है कि शुक्रवार को सिर्फ 60 सेकेंड के अंदर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुना दिया कि मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी। कोर्ट ने कहा कि उसके द्वारा गठित एक उपयुक्त पीठ राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना विवाद मामले की सुनवाई करेगी। नई पीठ यह तय करेगी कि इस मसले पर रोज सुनवाई हो या नहीं।
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