भोपाल, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में यूरिया की कमी को लेकर कमलनाथ के दावे पर अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान सामने आया है। शिवराज ने कमलनाथ को जवाब देते हुए कहा है कि प्रदेश में अब कांग्रेस सत्ता में है, उन्हें निराधार आरोप लगाने से बचना चाहिए और कुशलतापूर्वक चलाना चाहिए।
दरअसल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता कमलनाथ ने प्रदेश में यूरिया की कमी को लेकर केंद्र सरकार को फोन करके जल्द से जल्द यूरिया मुहैया कराने की बात कही थी। इस पर शिवराज ने कहा कि प्रदेश को 15 दिसंबर से पहले ही चार लाख मीट्रिक टन यूरिया मुहैया कराई जा चुकी है, लिहाजा इसे किसानों के बीच सही तरीके से बांटना चाहिए।
सहकारी समितियों के बाद अब बाजार से भी गायब हुआ यूरिया, कालाबाजारी शुरू
भोपाल. यूरिया की डिमांड पूरी नहीं होने के कारण शनिवार को प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में किसानों का आक्रोश बढ़ गया। रायसेन में किसानों ने नेशनल हाईवे नंबर 12 जाम कर दिया। 20 से ज्यादा जिलों में एक जैसे हालात रहे। कई जगह सहकारी समितियों के बाद बाजार से भी यूरिया गायब हो गया।
जहां यूरिया स्टॉक में है, वहां कालाबाजारी शुरू हो गई है। रायसेन के ग्राम कोटपार के किसानों ने बताया कि उन्हें 266 रुपए की बोरी खरीदने के लिए 350 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। विरोध प्रदर्शन बढ़ने की खबर मिलने पर राज्य सरकार ने खाद निर्माता कंपनियों के साथ बैठक की। कंपनियों ने भरोसा दिलाया है कि रविवार से पूरा यूरिया मप्र व राजस्थान को सप्लाई होगा।
यूरिया की कमी के लिए कांग्रेस जिम्मेदार : भाजपा के प्रदेश महामंत्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि कांग्रेस केंद्र सरकार पर यूरिया आवंटन की कमी का आरोप लगाकर राजनीति कर रही है। जबकि केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश में मांग से ज्यादा यूरिया दिया। कांग्रेस यूरिया की कमी को लेकर अपनी जिम्मेदारी से भाग नही सकती। उसे किसानों के लिए पर्याप्त यूरिया की व्यवस्था करनी चाहिए। केंद्र ने कोई कोटा नहीं घटाया। कमलनाथ सरकार यूरिया को लेकर दुष्प्रचार कर रही है।
कहां-कहां विरोध : बरेली में कृषि उपज मंडी के सामने एनएच 12 पर किसानों ने चक्काजाम किया। ग्वालियर, छतरपुर, रायसेन, भोपाल, सीहोर, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, छिंदवाड़ा, सिवनी, होशंगाबाद, हरदा, देवास, शाजापुर, आगर, राजगढ़ और कटनी में कई जगह खाद-यूरिया को लेकर प्रदर्शन हुए।
राज्यों तक ऐसे पहुंचता है यूरिया :
देश में दो लाख 5 हजार टन उत्पादन प्रतिवर्ष। 1.65 लाख टन आयात होता है। देश की कंपनियां उत्पादित यूरिया सेंट्रल पूल को देती हैं। सेंट्रल पूल से मप्र को मिला यूरिया रैक पॉइंट गुना, खंडवा, मंडीदीप, ग्वालियर, हरपालपुर, सतना समेत अन्य जगहों पर उतरता है। फिर ट्रकों के माध्यम से मार्कफेड के गोदामों में जाता है। वहां से प्राथमिक सहकारी सोसायटी को भेजा जाता है। 80 फीसदी यूरिया सोसायटी के जरिए, जबकि 20 फीसदी व्यापारियों के जरिए किसानों को मिलता है।
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