
स्वच्छ राजनीति के लिये जाने जायेगे मनोहर परिंकर , ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ नेता अंतिम श्रृदधांजली
जिनके लिये राष्ट्रहित रहा सर्वोपरी, सादगी की मिशाल
मुकेश अवस्थी, प्रधान संपादक
13दिसंबर 1955 मे गोवा के मापुसा में जन्में परिंकर ने मुबंई से आईआईटी करने के बाद देश के लिये काम करने का मन बनाया था, सादा जीवन उच्च विचार के साथ साथ सादगी को अपने जीवन में समाहित करने वाले मनोहर परिंकर ने अपनी राजनीति की शुरूआत आरएसएस की विचार धारा को अपना कर देश भाजपा से की. वे दो बार गोवा के मुख्य मंञी रहे साथ ही मोदी सरकार में उनकी जरूरत महशूस होने पर उन्हे देश का रक्षा मंञी भी बनाया गया, कहा जाता है कि पाकिस्तान में आतंक के खिलाफ सर्जिलक स्ट्रीइक को श्रेय मनोहर परिंकर को ही जाता है.
सादगी पसंद 63 वर्षीय मनोहर परिंकर ने अंतिम सांस भी चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ ली, वे लंबे समय से पे्क्रियाज के केंसर से पीडि़त थे, रविवार को उनके निधन के बाद देश भर में शोक की लहर दोड पड़ी, वही देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित प्रधान मंञी नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति एम बैकैया नायडू आदि ने शोक व्यक्त पर देश के लिये बड़ी क्षति बताया है.
सादगी पर देश भर को गर्व
देश की राजनीति के वर्तैमान हालत के विपरित चलने वाले मनोहर परिंकर देश भर को एक सबक दे गए, उनके रहन सहन से देशभर के लोग प्रभावित थे, गोवा में सीएम रहते हुये वे सरकारी कार और लाब लश्कर से दूर रहकर आम नागरिक की तरह स्कूटर पर कही भी देख जा सकते थे, साथ ही ने वे दो या तीन हाफ शर्ट में अक्सर दिखाई देते थे यहां तक की उनकी बेटी की शादी में भी वे हाफ शर्ट ओर साधारण से पेट और सेंडिल में लोगो को दिखाई दिये तो आने जाने वालो को आश्चर्य हुआ. हाल ही में गोवा का बजट पेश करने से पहले मनोहर पर्रिकर ने कहा था, ‘परिस्थितियां ऐसी हैं कि विस्तृत बजट पेश नहीं कर सकता लेकिन मैं बहुत ज्यादा जोश और पूरी तरह होश में हूं।’ इससे उनकी जिजीविषा का अंदाजा लगाया जा सकता है। कभी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) की सहयोगी रही बीजेपी को गोवा में मामूली जनाधार से सत्ता तक लाने का श्रेय पर्रिकर को ही दिया जाता है।
पहले आईआईटियन सीएम
13 दिसंबर 1955 को जन्मे पर्रिकर ने 1978 में आईआईटी बॉम्बे से मेटलर्जिकल इंजिनियरिंग में ग्रैजुएशन किया। वह किसी आईआईटी से ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद देश के किसी राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले शख्स थे। पर्रिकर पहली बार 1994 में पणजी विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वह लगातार चार बार इस सीट से जीतते रहे। इसके पहले गोवा की सियासत में किसी भी नेता ने यह उपलब्धि नहीं हासिल की थी।पूर्णकालिक सियासत में उतरने से पहले पर्रिकर का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ाव था। वह आरएसएस की नॉर्थ गोवा यूनिट में सक्रिय थे। वर्ष 2000 में वह पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। उनकी छवि आम आदमी के सीएम के रूप में थी। अकसर स्कूटी से सीएम दफ्तर जाते उनकी तस्वीरें मीडिया में काफी चर्चित रहीं। हालांकि, उनकी पहली सरकार फरवरी 2002 तक ही चल सकी।
गोवा में बीजेपी की जड़ें जमाईं
जून 2002 में गोवा विधानसभा भंग होने के बाद वहां फिर चुनाव हुए और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। दूसरी छोटी पार्टियों और एक निर्दलीय के सहयोग से पर्रिकर दूसरी बार सीएम बनने में कामयाब रहे। गोवा की राजनीति में बीजेपी की जड़ें जमाने में पर्रिकर का योगदान काफी अहम रहा। 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में उन्होंने ‘जनसंपर्क यात्रा’ नाम से जनता के बीच बड़ा अभियान चलाया। इसका नतीजा भी दिखा और पर्रिकर राज्य की 40 सीटों में से 21 पर बीजेपी का कमल खिलाने में कामयाब रहे।चुनाव के बाद पेट्रोल पर वैट हटाने का अपना वादा उन्होंने पूरा किया। गोवा में पेट्रोल की कीमत 11 रुपये तक घटाने के उनके प्रयास की देशभर में चर्चा हुई। बुजुर्गों के लिए दयानंद सामाजिक सुरक्षा योजना, साइबरएज योजना और सीएम रोजगार योजना के लिए उनको काफी प्रशंसा मिली। यही वजह थी कि योजना आयोग के सर्वेक्षण में गोवा लगातार तीन साल तक देश का बेस्ट गवर्निंग स्टेट रहा।
मोदी की पीएम उम्मीदवारी का खुला समर्थन
जून 2013 में पीएम कैंडिडेट के रूप में नरेंद्र मोदी का खुले तौर पर समर्थन करने वाले बड़े बीजेपी नेताओं में उनका नाम था। गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान पर्रिकर ने कहा था कि मैं आम जनता के अकसर संपर्क में रहता हूं, जो मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाने के पक्ष में है। इसी कार्यकारिणी के दौरान मोदी को बीजेपी प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया था और उनकी पीएम उम्मीदवारी का रास्ता साफ हुआ था। यही नहीं पीएम बनने के बाद मोदी ने सबसे पहले गोवा का ही आधिकारिक दौरा किया था।





