मध्‍य प्रदेश में कमलनाथ और सिंधिया के बीच तनातनी- प्रदेश में सत्‍ता पर कितना असर डालेगी

मुकेश अवस्‍थी.

मध्‍य प्रदेश की सत्‍तारूढ पार्टी के जिम्‍मेदारो के बीच इन दिनो तनातनी और ताकत बताने की होढ लगी हुई है. सत्‍ता और संगठन में अहम जिम्‍मेदारी से दूर मध्‍य प्रदेश के कददावर नेता ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया पिछले दिनो से लगातार आमजन के बीच पहुंच कर उनकी लड़ाई स‍ड़क तक लडने की चेतावनी तक दे चुके है फीर उन्‍होने एक बार अतिथि विदवानो को संबोधित करते हुए खुद की पार्टी की सरकार को मेनीफेस्‍टो में किए गए वादो को याद दिलाते हुए कहा कि यदि लोगो को दिये वादे पूरे नही हुये तो वे सडक पर उतर कर हक की लडाई लडेगे.

बता दें कि मध्‍य प्रदेश की सरकार को बने 15 माह बीत चुके है लेकिन पार्टी द्वारा दिये गए वादो के पूरे न होने से लोग नाराजगी व्‍यक्‍त कर रहे है, जिम्‍मेदार और बडे नेताओ के सामने किसान अपनी कर्ज माफी को लेकर पहुचंते तो कभी अति‍थि शिक्षक नियमितीकरण के वादे को याद दिलाकर अपनी मांगे पूरी करने की बात कह रहे है. इसी के चलते सिंधिया ने हाल ही महाविधालयो के अतिथि विदवानो को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाने में मेहनत की है, यदि जनता को किये वादे पूरे नही किये गए तो वह सडक पर उतर कर प्रदर्शन करेगे, जिसके बाद से सूबे की राजनीति भी गर्मा गई है. बता दे कि मध्‍य प्रदेश की राजनीति में सिधिया के सर्मथको की संख्‍या भी ज्‍यादा है और उनके खेमे से चुने गए कई विधायक और मंञी भी कमलनाथ सरकार में है. सिंधिया द्वारा खुलकर खुद की पार्टी को चेतावनी देने के बाद भोपाल में पञकारो ने सीएम कमलनाथ से सत्‍ता और संगठन के बीच तालमेल सहित सिंधिया की चेतावनी को लेकर पूछा तो कमलनाथ ने तंज कसते हुए साफ कह दिया कि उतर जाए…….

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उधर पूर्व मुख्‍य मंञी दिग्विजय सिंह ने भी कहा है कि मध्‍य प्रदेश की सरकार को बनाने में सिंधिया अकेले सहभागी नही है हमने भी काम किया है हम भी सडक पर उतर जायेगे, सभी कार्यकर्ताओ की मेहनत से सरकार बनी है.

बता दें कि विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव की हार के बाद से सिंधिया की नाराजगी स्‍पष्‍ट दिखाई दे रही है. कहा जा रहा है कि सत्‍ता ओर संगठन को कमलनाथ और दिग्‍गी ही चला रहे है. अभी तक पीसीसी चीफ का पद भी कमलनाथ के पास है ऐसे में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया पीसीसी अध्‍यक्ष बनने की इच्‍छा भी रखते है साथ ही हाई कमान से मध्‍य प्रदेश की राजनीति में दखल भी चाहते है. दो बडे नेताओ के बीच वादो को निभाने और वादे याद दिलाकर अपनी धमक दिखाने वाले सिंधिया और कमलनाथ की तनातनी से किसानो और मांगो के लिए धरने पर बैठै अतिथि विदवानो का भला हो सकता है या ये राजनीति अपना रंग बिगाड सकती है….

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