राजू प्रजापति
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भोपाल। विलीनीकरण अन्दोलन में 14 जनवरी को जिले के चार युवाओं ने दी थी शहादत
आजादी के 659 दिन बाद भोपाल में फहराया तिरंगा झंडा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था।01 जून 1949 को भोपाल में तिरंगा झण्डा फहराया गया। भोपाल रियासत के भारत
गणराज्य में विलय में लगभग दो साल का समय इसलिए लगा
कि भौगोलिक दृष्टि से असंभव था। आजादी के इतने समय बाद भी भोपाल रियासत का विलय न होने से जनता में भारी आक्रोश था जो विलीनीकरण आन्दोलन में
परिवर्तित हो गया, जिसने आगे जाकर उग्र रूप ले लिया।
भोपाल रियासत के भारत संघ में विलय के लिए चल रहे विलीनीकरण आन्दोलन की
रणनीति और गतिविधियों का मुख्य केन्द्र रायसेन जिला था। रायसेन में ही
उद्धवदास मेहता, बालमुकन्द, जमना प्रसाद, लालसिंह ने विलीनिकरण आन्दोलन
को चलाने के लिए जनवरी-फरवरी 1948 में प्रजा मंगल की स्थापना की थी।
रायसेन के साथ ही सीहोर से भी आन्दोलनकारी गतिविधियॉं चलाई गईं। भोपाल रियासत के विलीनीकरण में जिले के ग्राम बोरास में 4 युवा शहीद
हुए। यह चारों शहीद 30 साल से कम उम्र के थे। इनकी उम्र को देखकर उस वक्त युवाओं में देशभक्ति के जज्बे का अनुमान लगाया जा सकता है। शहीद होने
वालों में श्री धनसिंह आयु 25 वर्ष, मंगलसिंह 30 वर्ष, विशाल सिंह 25 वर्ष और एक 16 वर्षीय किशोर मा. छोटेलाल शमिल था। इन शहीदों की स्मृति में उदयपुरा तहसील के ग्राम बोरास में नर्मदा तट पर 14 जनवरी 1984 में
शहीद स्मारक स्थापित किया गया है। नर्मदा के साथ-साथ बोरास का यह शहीद स्मारक भी उतना ही पावन और श्रृद्धा का केन्द्र है। प्रतिवर्ष यहां 14 जनवरी को विशाल मेला आयोजित होता आ रहा है। दोदिनांक 14 जनवरी 1949 को उदयपुरा तहसील के ग्राम बोरास के नर्मदा तट
पर विलीनीकरण आन्दोलन को लेकर विशाल सभा चल रही थी। सभा को चारों ओर से भारी पुलिस बल ने घेर रखा था। सभा में आने वालों के पास जो लाठियां और डण्डे थे। उन्हें पुलिस ने रखवा लिया था। विलीनीकरण आन्दोलन के सभी बड़े
नेताओं को पहले ही बन्दी बना लिया गया था। बोरास में 14 जनवरी को तिरंगा झण्डा फहराया जाना था। आन्दोलन के सभी बड़े नेतओं की गैर मौजूदगी को देखतेहुएं बैजनाथ गुप्ता आगे आए और उन्होंने तिरंगा झण्डा फहराया। तिरंगा
फहराते ही बोरास का नर्मदा तट भारत माता की जय और विलीनीकरण होकर रहेगा
नारों से गूंंज उठा। पुलिस के मुखिया ने कहा जो विलीनीकरण के नारे लगाएगा, उसे गोलियों से भून दिया जाएगा। उस दरोगा की यह धमकी सुनते ही एक
16 साल का किशोर छोटेलाल हाथ में तिरंगा लेकर आगे आया और उसने भारत माता
की जय और विलीनीकरण होकर रहेगा नारा लगाया। पुलिस ने छोटेलाल पर गोलियां
चलाई और वह गिरता इससे पहले धनसिंह नामक युवक ने तिरंगा थाम लिया, धनसिंह
पर भी गोलिया चलाई गई, फिर मगलसिंह पर और विशाल सिंह पर गोलियां चलाई गईं
लेकिन किसी ने भी तिरंगा नीचे नहीं गिरने दिया। ये चारो युवा शहीद हो गए लेकिन तिरंगा नीचे नहीं गिरने दिया। इस गोली काण्ड में कई लोग गम्भीर रूप
से घायल हुए। बोरास में आयोजित विलीनीकरण आन्दोलन की सभा में होशंगाबाद,सीहोर से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे बोरास में 16 जनवरी को शहीदों की विशाल शव यात्रा निकाली गई जिसमें
हजारों लोगों ने अश्रुपूरित श्रृद्धांजली के साथ विलीनीकरण आन्दोलन के इन शहिदों को विदा किया। अंतिम विदाई के समय बोरास का नर्मदा तट शहीद अमरे
रहे और भारत माता की जय के नारो से आसमान गुंजायमान हो उठा। बोरास के गोली काण्ड की सूचना सरदार वल्लभ भाई पटेल को मिलते
गोली काण्ड की सूचना सरदार वल्लभ भाई पटेल को मिलते ही उन्होंने श्री बीपी मेनन को भोपाल भेजा था। भोपाल रियासत का 01 जून 1949 को भारत
गणराज्य में विलय हो गया और भारत की आजादी के 659 दिन बाद भोपाल में तिरंगा झण्डा फहाराया गया।
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