नई दिल्ली. राफेल विवाद में सोमवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों को बेबुनियाद ठहराया। इसके बाद राहुल ने ट्वीट किया कि हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्ट लिमिटेड (एचएएल) के पास कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं। ऐसे में मजबूरन इंजीनियरों को अनिल अंबानी की कंपनी में जाना होगा। राहुल ने रविवार को कहा था कि रक्षा मंत्री ने एचएएल को एक लाख करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट देने का झूठा दावा किया।
रक्षा मंत्री ने लोकसभा में बताया कि केंद्र सरकार ने 2014 से 2018 के बीच में एचएएल के साथ 26 हजार 570 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट किए थे। इसके अलावा 73 हजार करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट अभी पाइपलाइन में हैं।” उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी पर एचएएल के मुद्दे पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया।
सरकार के राहुल से तीन सवाल
आपकी और आपके परिवार की अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल से क्या नजदीकी है? क्या राहुल राफेल का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि राफेल की कॉम्पीटिटर यूरोफाइटर कंपनी के दबाव में हैं?
सात से आठ साल के प्रयास के बाद राफेल को सबसे कम टेंडर वाला पाया गया। इसके बावजूद आपकी सरकार के वक्त किसके दबाव में डील रोक दी गई थी?
आप देश की सुरक्षा के साथ कब तक समझौता करेंगे? आप वायुसेना का मनोबल क्यों तोड़ रहे हैं?
नरेंद्र मोदी को बचाने के लिए रक्षा मंत्री ने झूठ बोला
राहुल ने रविवार को ट्वीट कर आरोप लगाया था, ”जब आप झूठ बोलते हैं तो उसे छिपाने के लिए आपको कई झूठ बोलने पड़ते हैं। रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री के राफेल पर झूठ को सही साबित करने के लिए संसद में झूठ बोला। रक्षा मंत्री को संसद में एचएएल को एक लाख करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट देने के दस्तावेज पेश करने चाहिए, नहीं तो वे इस्तीफा दें।” दरअसल, राहुल का आरोप है कि पुराने कॉन्ट्रैक्ट में राफेल विमान बनते तो देश के लाखों युवाओं को रोजगार मिलता, लेकिन मोदी सरकार ने एलएएल से कॉन्ट्रैक्ट छीनकर अनिल अंबानी की कंपनी को दे दिया।
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