मुंबई। ठीक एक साल पहले महाराष्ट्र में भड़की भीमा-कोरेगांव हिंसा के एक साल पूरे होने पर पूरे राज्य की पुलिस सतर्क है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है। संबंधित इलाकों में कड़ी निगरानी रखी जा रही है इसके लिए ड्रोन की मदद ली गई है।
इससे ठीक पहले ठाणे पुलिस की अपराध शाखा ने अमरावती जनपद से 10 पिस्तौलों और 40 कारतूसों के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इन हथियारों का उपयोग कहां होना था, यह पता नहीं चल सका है।
201 वर्ष पहले पेशवाओं और अंग्रेजों के बीच भीमा-कोरेगांव क्षेत्र में एक युद्ध हुआ था। अंग्रेजों की तरफ से दलित समुदाय के महारों ने युद्ध कर पेशवाओं को हराया था। महारों की इस जीत की याद में यहां “जय स्तंभ” की स्थापना की गई थी। प्रतिवर्ष एक जनवरी को यहां हजारों लोग युद्ध में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचते हैं।
पिछले वर्ष एक जनवरी को इस विजय दिवस के 200 वर्ष पूरे होने के अवसर पर न सिर्फ आने वालों की संख्या ज्यादा रही, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से एक दिन पहले पेशवाओं का निवास रहे शनिवारवाड़ा के बाहर यलगार परिषद का आयोजन कर इस जमावड़े को भड़काने का भी काम किया गया। हाल ही में मुंबई हाई कोर्ट ने भी टिप्पणी की कि यलगार परिषद और भीमा-कोरेगांव के बहाने बड़ी हिंसा की साजिश रची गई थी, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते थे।
तीन दिन तक प्रभावित रहा था महाराष्ट्र
एक जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव से शुरू हुई हिंसा में एक व्यक्ति मारा गया था और इस हिंसा से अगले तीन दिनों तक पूरा महाराष्ट्र प्रभावित रहा था। इसी हिंसा की जांच में दो चरणों में नौ माओवादी कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए। जबकि एक माओवादी कार्यकर्ता गौतम नौलखा अभी भी न्यायालयी हस्तक्षेप के कारण पुलिस की पकड़ से बाहर है।
पहले गिरफ्तार किए गए पांच माओवादियों के विरुद्ध अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल किया जा चुका है। 31 दिसंबर, 2017 को हुई यलगार परिषद में जिग्नेश मेवाणी सहित कई दलित नेता महाराष्ट्र के बाहर से आए थे। पुलिस का मानना है कि यलगार परिषद में इन नेताओं के भाषणों से ही अगले दिन भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की।
चंद्रशेखर आजाद को “जय स्तंभ” जाने की अनुमति
रविवार को ही पुणे पहुंच चुके भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को मुंबई हाई कोर्ट से भीमा-कोरेगांव में “जय स्तंभ” तक जाने की अनुमति मिल गई है। लेकिन पुणे पुलिस ने उन्हें सभा करने की अनुमति नहीं दी है।
हर जिले से आने वालों की बनेगी सूची
न सिर्फ पुणे और मुंबई, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के पुलिस थानों को निर्देश भेजे गए हैं कि उनके क्षेत्रों से एक जनवरी, 2019 को भीमा-कोरेगांव आने वाले सभी लोगों की सूची तैयार की जाए। ताकि किसी अप्रिय स्थिति पर नियंत्रण रखा जा सके।
08 से 10 लाख लोग जुटेंगे
पिछले वर्ष से पहले प्रतिवर्ष एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव के “जय स्तंभ” पर आने वालों की संख्या कुछ हजार हुआ करती थी। पिछले वर्ष यह अचानक लाखों में पहुंच गई जो पुलिस के अनुमान से काफी अधिक थी। इस बार भी वहां 08 से 10 लाख लोगों के पहुंचने की उम्मीद है।
Comments are closed.