दिल्ली के दिलशाद गार्डन में स्थित संस्कार आश्रम परिसर के गेट नंबर 3 के बाहर मीडिया और लोगों का जमावड़ा था. पत्रकार इस परिसर में बने लड़कियों के आश्रय गृह तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सुरक्षाकर्मियों की एक-एक व्यक्ति पर नज़र थी. किसी को आश्रय गृह के आसपास भी फटकने नहीं दिया जा रहा था.
लेकिन यही चाकचौबंद व्यवस्था उस दिन नहीं थी जब 1 और 2 दिसंबर की रात को 9 लड़कियां इस आश्रय गृह से अचानक एकसाथ गायब हो गईं. पूरे आश्रय गृह और सुरक्षाकर्मियों को पता ही नहीं चला कि ये लड़कियां कहां गईं.
इन 9 लड़कियों में से एक बिहार की रहने वाली है और बाकी 8 नेपाल से हैं. पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि बिहार की रहने वाली लड़की नाबालिग है.
दो दिसंबर की सुबह आश्रय गृह में जब लड़कियों की हाज़िरी लगाई गई तब पता चला कि नौ लड़कियां गायब हैं. उनके कमरे में देखने पर भी वो नहीं मिलीं.
इसके बाद संकल्प आश्रय ने पुलिस को फोन करके इसकी जानकारी दी और पुलिस मौके पर पहुंची. लेकिन, दो दिन बीत जाने के बाद भी एक भी लड़की का पता नहीं चल सका.
आश्रय गृह ने इस मामले पर अभी तक चुप्पी साधी हुई है और पुलिस भी काफ़ी संभलकर बोल रही है.
शहादरा डीसीपी मेघना यादव ने बताया, ”आश्रय गृह प्रशासन का कहना है कि उसे लड़कियों के गायब होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इन नौ लड़कियों को रेड लाइट एरिया जीबी रोड से रेसक्यू किया गया था. इसके बाद उन्हें द्वारका के आश्रय गृह में रखा गया था. इसी साल मई में उन्हें द्वारका से संस्कार आश्रम लाया गया.”
ये लड़कियां मानव तस्करी और यौन उत्पीड़न की शिकार रही हैं. पुलिस का कहना है कि इस मामले में बाहरी शख़्स और अंदर के स्टाफ़ की भूमिका की भी जाँच की जा रही है.
कहां लापता होती जा रही हैं ये लड़कियां
दो अधिकारी निलंबित
यह आश्रय गृह महिला एवं बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडी) के तहत आता है. ये विभाग उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया संभाल रहे हैं. इस घटना की जानकारी मिलने पर उन्होंने मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र लिखकर उत्तर पूर्व, डब्ल्यूसीडी के ज़िला अधिकारी और संकल्प आश्रय गृह के सुपरिंटेंडेंट को निलंबित कर दिया है.
दिल्ली महिला आयोग (डीसीब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भी आश्रय गृह पहुंची थीं. उन्होंने बीबीसी को बताया, ”ये नौ लड़कियां जीबी रोड से निकाली गईं है, ये मुझे पता है. इनमें से कई लड़कियां ऐसी है जिन्हें दिल्ली महिला आयोग ने रेस्क्यू किया है. आख़िर वो लड़कियां कहां गई. एक साथ इतनी लड़कियां सुरक्षा के बीच कैसे गायब हो सकती हैं.”
उन्होंने कहा, ”इस तरह के आश्रय गृहों में सरकार का दख़ल बहुत ज़रूरी है. दिल्ली महिला आयोग भी उनमें लगातार दौरा करेगा. मैं एलजी के पास भी जाऊंगी. जीबी रोड बंद होना चाहिए. ये लड़कियां जीबी रोड पहुंच गई हैं तो क्या ये सिस्टम की ग़लती नहीं है.”
जहां एकतरफ अभी तक गायब हुई लड़कियों का कोई सुराग नहीं लगा है वहीं इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है. मौके पर बीजेपी के निगम पार्षद वीर सिंह पवार भी पहुंचे थे. उन्होंने इस मामले के लिए दिल्ली सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और नारेबाजी की.
वीर सिंह पवार ने कहा, ”यहां कोई बात करने के लिए तैयार नहीं है. हमने बच्चियों के हालात जानने की कोशिश की थी. आज ये लड़कियां गायब हुई हैं, कल और कुछ होगा, ज़िम्मेदार कौन है.”
”और ये कहने की बार-बार क्या ज़रूरत है कि वो लड़कियां जीबी रोड से लाई गई हैं. वो भी सामान्य औरते हैं. सवाल तो यह है कि वो जीबी रोड क्यों गईं. आख़िर लड़कियां यहां से गई कैसें. इसके लिए दिल्ली सरकार ज़िम्मेदार है.”
अचानक कहां गई लड़कियां
संकल्प आश्रम के परिसर में लड़के और लड़कियों दोनों के आश्रय गृह हैं और साथ ही समाज कल्याण विभाग का एक दफ़्तर है जिसमें पेंशन और अन्य काम होते हैं. यह आश्रय गृह 15-20 साल पुराना है और इसमें 100 से ज़्यादा लड़कियां रहती हैं. ये लड़कियां इलाक़े के ही सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं.
इस परिसर में तीन गेट हैं. लड़कियां तीन नंबर गेट से ही बाहर आ जा सकती हैं. इस गेट से करीब आधा किलोमीटर अंदर जाने पर आश्रय गृह आता है.
गेट नंबर तीन पर मौजूद गार्ड ने बताया कि परिसर में जो भी अंदर जाता है उसकी एंट्री गेट पर होती है. जब गार्ड से पूछा गया कि एक और दो तारीख़ की एंट्री भी इस रजिस्टर में हुई होगी तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
परिसर में तो कहीं सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है लेकिन आश्रय गृह की बिल्डिंग के गेट पर महिला गार्ड तैनात हैं और सीसीटीवी लगा है. अंदर फोन करने के बाद ही किसी को प्रवेश मिलता है और फिर हॉस्टल का रिसेप्शन है.
इस परिसर से निकलने का कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है. न ही कोई दीवार टूटी है कि लड़कियां अपने आप भाग सकें. ऐसे में आश्रय गृह की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
संस्कार आश्रय गृह के आसपास के इलाके की सुरक्षा पर वहां के निवासियों ने भी सवाल उठाए. रेजिडेंशियल वेल्फेयर एसोसिएशन के सदस्य महेश चंद शर्मा ने कहा, ”ये एक ऐसा इलाका है कि अगर आप शाम को यहां आएंगे तो एक आदमी नहीं मिलता. वहीं, दिन में पास में अस्पताल होने की वजह से लूट और ठगी करने वाले घूमते रहते हैं. हमने पुलिस से शिकायत की है लेकिन कोई ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ.”
इसी इलाके में रहने वाली कविता भी कहते हैं कि रात को सड़क पर अंधेरा रहता है, लाइट काम नहीं करती. वे आरोप लगाती हैं कि शाम में कुछ दूर खाली सड़क पर देह व्यापार भी चलता है.
हालांकि, यहीं रहने वाली एक सरकारी स्कूल की टीचर ने इलाके को इतना ख़तरनाक नहीं बताया. उन्होंने कहा कि सड़क पर अंधेरा रहता है लेकिन सामने की रोड पर कुछ गलत नहीं होता. यहां सामने स्कूल है जिस वजह से गार्ड मौजूद रहते हैं.
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