सीवीसी ने सीलबंद लिफाफों में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी

नई दिल्ली. सीबीआई के दो शीर्ष अफसरों के बीच विवाद के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ हुई शुरुआती जांच की रिपोर्ट तीन सीलबंद लिफाफों में कोर्ट को सौंपी। अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने जांच रिपोर्ट समय पर दायर नहीं करने के लिए फटकार भी लगाई।

यह मामला सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और जांच एजेंसी के नंबर-2 अफसर राकेश अस्थाना के बीच विवाद से जुड़ा है। दोनों ने एकदूसरे पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए हैं। इस विवाद के बाद केंद्र ने दोनों अफसरों को जांच लंबित रहने तक छुट्टी पर भेज दिया था। सीबीआई चीफ ने केंद्र के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि सीवीसी इस मामले की जांच करे और रिपोर्ट सौंपे।

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कोर्ट में क्या हुआ?
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान सीवीसी की ओर से रिपोर्ट सौंपी गई। सीबीआई के अंतरिम चीफ एम नागेश्वर राव ने भी अपनी अलग रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उनकी तरफ से 23 से 26 अक्टूबर के बीच लिए गए फैसलों का ब्योरा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि सीवीसी की जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके पटनायक ने की थी। जांच 10 नवंबर को पूरी कर ली गई थी।

चीफ जस्टिस ने लगाई फटकार
चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा कि कोर्ट की रजिस्ट्री रविवार को भी खुली थी। इसके बाद भी सीवीसी की रिपोर्ट दायर करने के बारे में रजिस्ट्रार को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने माफी मांगते हुए कहा कि रिपोर्ट सौंपने में हमसे देरी हुई है।

सीबीआई में दो साल से जारी है विवाद

2016 में सीबीआई में नंबर दो अफसर रहे आरके दत्ता का तबादला गृह मंत्रालय में कर अस्थाना को लाया गया था।
दत्ता भावी निदेशक माने जा रहे थे। लेकिन गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना सीबीआई के अंतरिम चीफ बना दिए गए।
अस्थाना की नियुक्ति को वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। इसके बाद फरवरी 2017 में आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ बनाया गया।
सीबीआई चीफ बनने के बाद आलोक वर्मा ने अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर बनाने का विरोध कर दिया।
वर्मा 1984 की आईपीएस बैच के अफसर हैं। अस्थाना 1979 की बैच के आईपीएस अफसर हैं।
अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। कुरैशी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया था।
जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आया। एजेंसी 50 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी।
सना ने सीबीआई चीफ को भेजी शिकायत में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीन चिट देने के लिए 5 करोड़ रुपए मांगे थे। इनमें 3 करोड़ एडवांस दिए गए। 2 करोड़ रुपए बाद में देने थे।
शीर्ष अफसरों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और विवाद के बाद केंद्र ने वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था।
इसके खिलाफ आलोक वर्मा और एनजीओ कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। बाद में अस्थाना ने भी याचिका लगाई।

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