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मप्र का पहला शहर होगा भोपाल… जहां हर घर का होगा ई-एड्रेस

भोपाल . अभी तक घर पर आ रहे मेहमानों को आप पते के साथ लैंडमार्क बताते हैं। इसके बाद भी मेहमान घर तलाशने में परेशान होते रहते हैं। अब इस समस्या के समाधान के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी आपके घर को डिजिटल एड्रेस देने जा रही है। यह डिजिटल बेस्ड एड्रेस आपके घर की विशिष्ट पहचान होगा। भोपाल मप्र का पहला शहर होगा जहां हर घर का ई एड्रेस होगा।
इसका फायदा फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस जैसी इमरजेंसी सेवाएं में भी होगा। क्राइम की स्थिति में भी यह डिजिटल एड्रेस आपके लिए मददगार साबित होगा। संपत्ति कर वसूली में सुधार के लिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी मिल कर जीआईएस सर्वे कर रही है।

इसमें हर प्राॅपर्टी की एक यूनिक आईडी जनरेट हो रही है। इसमें प्रॉपर्टी के मालिक और उस पर बनने वाले टैक्स की जानकारी मिल जाएगी। अब इस जीआईएस डेटा का दूसरा उपयोग डिजिटल एड्रेस जनरेट करने के लिए किया जा रहा है। हर घर के बाहर कॉपर की एक प्लेट लगेगी। इस पर यह डिजिटल एड्रेस दर्ज होगा। इसके अलावा क्यूआर कोड भी बनाया जाएगा।

हर उपनगर, मोहल्ले और गली का अपना कोड : इस अल्फा न्यूमेरिक डिजिटल एड्रेस में शहर को भेल, बैरागढ़, ओल्ड सिटी, न्यू सिटी जैसे उप नगरों में बांटा जाएगा। हर उपनगर का एक कोड होगा। इसके बाद मोहल्ले और गली के कोड होंगे। इसी आधार पर डिजिटल एड्रेस जनरेट होगा। इसके बाद किसी भी इमरजेंसी में आपको केवल क्यूआर कोड बताना होगा। इसके बाद फायर, एंबुलेंस या पुलिस को आप तक पहुंचने के लिए किसी और जानकारी की जरूरत नहीं होगी।

एप पर रेड बटन प्रेस करके दे सकेंगे पुलिस को सूचना : यदि घर पर चोरी, डकैती जैसी कोई आपराधिक वारदात हो जाती है और आप फोन पर बात करने की स्थिति में नहीं हैं तब भी यह डिजिटल एड्रेस आपकी मदद कर सकेगा। इस डिजिटल एड्रेस को भोपाल प्लस एप से जोड़ा जाएगा। एप पर एक रेड बटन होगा। इस बटन को प्रेस करते ही पुलिस थाने को सीधे सूचना पहुंच जाएगी और पुलिस आप तक आसानी से पहुंच सकेगी।

पोस्टल डिलीवरी से लेकर कचरा कलेक्शन तक की मॉनिटरिंग : घर के बाहर लगा क्यूआर कोड कई तरह की सेवाओं में उपयोग हो सकेगा। आपके घर पर पार्सल और पोस्टल डिलीवरी होने पर डिलीवरी बॉय इस क्यूआर कोड को स्कैन करेगा। इससे तुरंत संबंधित एजेंसी को इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि पार्सल सही स्थान पर डिलीवर हुआ है।

इसी तरह डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए आ रहे कामगार को भी कोड स्कैन जरूरी किया जा सकता है, इससे पता चल सकेगा कि कितने घरों से वास्तव में कचरा कलेक्शन हुआ। पल्स पोलियो, मतदाता सूची अपडेशन, जनगणना, बीपीएल सूची अपडेशन जैसे तमाम सरकारी अभियानों की मॉनिटरिंग भी इस क्यूआर कोड से हो सकेगी।

हमारा टारगेट आठ महीने में पूरा करने का

हमने हैदराबाद की जिपर कंपनी को डिजिटल एड्रेस जनरेट करने का काम सौंपा है। इस पर पांच करोड़ रुपए खर्च होंगे और यह काम आठ महीने में पूरा हो जाएगा। आंध्र और तेलंगाना मेंं कुछ लोकेलिटी में डिजिटल एड्रेस जनरेट करने का पायलट प्रोजेक्ट हुआ है। भोपाल जैसे बड़े शहर में यह पहली बार होगा। – संजय कुमार, सीईओ, स्मार्ट सिटी कंपनी

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