मुकेश अवस्थी
होशंगाबाद जिले की चारो सीट हारने के बाद भी जिले की कांग्रेस मजबूत होने की बजाय कमजोर होती जा रही है, जिले भर में नेताओ की तो भरमार है लेकिन आपसी गुटबाजी के चलते खुद कांग्रेसी प्रदेश में सरकार होने के बाद भी खुद को कमजोर ही समझ रहे है.
बता दें मध्यप्रदेश में सीएम कमलनाथ ने भले ही हारे हुए उम्मीदवारो को विधायक के सामान तब्बजो देने को कहो हो, लेकिन जिले की चारो सीट गंवाने के बाद भी जिले भर के कांग्रेसी खुद की सरकार होते हुए भी कमजोर ही महशूस कर रहे है. बता दे कि यहां की सिवनी मालवा, पिपरिया, सोहागपुर और इटारसी सीटे विधानसभा चुनाव में हारने के बाद कांग्रेस की सरकार प्रदेश में तो बन गई लेकिन गुटबाजी का नतीजा ये है कि खुद कांग्रेसी ही एक दुसरे की टांग खीचने में लगे है. जिले में पूर्व मंञी सुरेश पचौरी सहित दिग्विजय सिंह और सिधिया से जुड़े हुए नेताओ की संख्या ज्यादा है जिसके कारण टकराव भी बना रहता है. पिपरिया, सोहागपुर और होशंगाबाद में कांग्रेसी नेता गुटबाजी के चलते एक दूसरे के सामने भी खुल कर नही आ रहे है. सूञो का कहना है कि पूर्व केद्रीय मंञी सुरेश पचौरी सहित सीएम कमलनाथ ने होशंगाबाद संसदीय क्षेञ के नेताओ को बुलाकर समझाइस भी देने की कोशिश की है लेकिन फिर भी गुटबाजी समाप्त नही हो पाई है. इस प्रकार की आपसी फूट का असर नबंम्वर महीने में होने वाले नगरीय निकाय और पंचायत चुनावो में देखने को मिल सकता है, कहा जा रहा है यदि क्षेञीय नेताओ के बीच यदि ऐसा ही चलता रहा तो कांग्रेस को स्थानीय निकाय के चुनावो में नुकसान का सामना भी उठाना पड सकता है.
उधर प्रदेश में भले ही कांग्रेस की सरकार हो लेकिन भाजपाई कार्यकर्ता खुलेआम धडल्ले से रेत की चोरी खुद कांग्रेसी नेताओ के संरक्षण मे कर रहे है. कहा जा रहा है कि जो नेता रेत के अवैध उत्खनन की बात करते थे वही आज रेत चोरो को संरक्षित कर रहे है. बता दे कि होशंगाबाद के एसडीएम बघेल के तबादले को रेत के अवैध कारोबार से जोडकर भी देखा जा रहा है दरअसल एसडीएम बघेल कलेक्टर के आदेश पर लगातार रेत माफिया पर कार्यवाई करते जा रहे थे.
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