तीन साल में कितने किसानों ने आत्महत्या की सरकार के पास डेटा नहीं: कृषि मंत्री

नई दिल्ली. 2016 से अब तक कितने किसानों ने आत्महत्या की है, इससे जुड़ा सरकार के पास कोई डेटा नहीं है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने मंगलवार को संसद में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नेशनल क्राइम ब्यूरो (एनसीआरबी), जो ऐसे मामलों में डेटा इकट्ठा करती है, उसने 2016 से आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या का कोई डेटा जारी नहीं किया।
एनसीआरबी की वेबसाइट पर 2015 तक के आंकड़े
तृणमूल कांग्रेस सांसद दिनेश त्रिवेदी ने सवाल पूछा था कि 2016 से अब तक कितने किसानों ने आत्महत्या की और सरकार ने उनके परिवारों के लिए क्या किया?

राधामोहन सिंह ने लिखित जवाब में बताया कि गृह मंत्रालय के अंतर्गत एनसीआरबी आत्महत्याओं के बारे में जानकारी एकत्र कर उसे प्रसारित करती है। एनसीआरबी की वेबसाइट पर 2015 तक के आंकड़े मौजूद हैं, जबकि 2016 और उसके बाद के अभी तक जारी नहीं किए गए।

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मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकारें एनसीआरबी को इससे जुड़ा डाटा भेजती हैं। इन आंकड़ों को इकट्ठा कर उसे जारी किया जाता है।

2015 में 8 हजार से ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या
एनसीआरबी के मुताबिक, 2015 में 8 हजार किसानों ने आत्महत्या की। सबसे ज्यादा आत्महत्याएं महाराष्ट्र में हुईं। महाराष्ट्र में 3000, तेलंगाना में 1358, कर्नाटक में 1197 किसानों ने आत्महत्याएं की।

2015 में खेती से जुड़े 4500 मजदूरों ने भी आत्महत्या की। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर आत्महत्याएं कर्ज या दिवालिया होने की वजह से हुईं। इससे पहले 2014 में 5,650 किसानों ने आत्महत्या की थी।

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