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राजधानी से सटे कठोतिया में रातभर गूंजी दाे बाघों की दहाड़

भोपाल . कोलार से करीब 15 किमी दूर कठोतिया और उसके आसपास के गांवों के रहवासी सोमवार रात से दहशत में हैं। इसकी वजह सोमवार देर रात से मंगलवार सुबह तक जंगल का दो बाघों की दहाड़ से गूंजना है। कठोतिया, गाेल गांव के ग्रामीणों ने देर रात बाघों के दहाड़ने की आवाज आने पर वन अमले को बाघों के मूवमेंट की सूचना भी दी । साथ ही जंगल में बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट (आपसी संघर्ष) होने की आशंका जताई है।
वन अमले ने बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट जैसी घटना होने से इनकार किया है। साथ ही क्षेत्र में तैनात वन रक्षक और रेंजर से मामले की जानकारी तलब की है। वन विभाग के अफसरों ने बताया कि कलियासोत डेम, केरवा डेम से लेकर कठोतिया, वीरपुर, समसपुरा, झिरी गांव के नजदीक के जंगलों में बाघों का मूवमेंट लगातार बना है।

ग्रामीणों को भी जंगल में बाघ मूवमेंट होने के कारण सतर्क रहने की हिदायत दी गई है। अफसरों के मुताबिक सोमवार – मंगलवार की दरम्यानी रात कठोतिया और गोल गांव के रहवासियों ने क्षेत्र में बाघ मूवमेंट होने की जानकारी देने के साथ ही उनके दहाड़ने की सूचना भी दी थी। इस पर वन अमले को मंगलवार सुबह जंगल में बाघ मूवमेंट का स्टेटस अपडेट करने के लिए वनरक्षकों के साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया है, जो शाम तक जारी था।

विशेषज्ञ बोले- केवल आपसी संघर्ष के समय ही नहीं दहाड़ता बाघ, और भी हैं वजह : वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ. सुदेश बाघमारे ने बताया कि जंगल में बाघ केवल टेरिटोरियल फाइट होने पर ही नहीं दहाड़ता। वह मेटिंग में दहाड़ता है। इसे मेटिंग कॉल भी कहा जाता है। इसके अलावा बाघ, घायल होने की स्थिति में भी दहाड़ता है। इसके अलावा बाघ तब दहाड़ता है, जब उसके इलाके में कोई दूसरा बाघ कब्जा करने की कोशिश करता है।

तब एक बाघ दूसरे बाघ को दहाड़कर उसे डराने की कोशिश करता है। इसे टेरिटोरियल फाइट कहा जाता है। कठोतिया से केरवा डेम तक जंगल आपस में जुड़ा हुआ है। अगर इस जंगल में बाघ दहाड़ रहे हैं, तो वन अमले को उनके दहाड़ने का कारण पता करना चाहिए।

कई मर्तबा यहां बाघों को देखा : कठौतिया के रहवासियाें ने बताया कि 8 साल से यहां बाघों का मूवमेंट है। कई मर्तबा बाघों को आते-जाते देखा। रात में कई बार बाघ, बाघिन के गुर्राने की आवाजें भी सुनी। लेकिन सोमवार – मंगलवार की दरम्यानी रात पहली बार जंगल में दो बाघों के दहाड़ने की आवाज सुनी। ऐसा लग रहा था, मानों वे आपस में इलाके में दखल को लेकर लड़ रहे हों।

पँथरीला ँथा रास्ता, बैरंग लौटा वन अमला : कठोतिया गांव के रहवासँियों की सूचना पर देर रात वन अमला जंगल में बाघ मूवमेंट की निगरानी और सर्चिंग करने पहुंचा। लेकिन, वन अमले को जंगल का रास्ता पथरीला होने के कारण बैरंग लौटना पड़ा। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक क्षेत्र में बाघों के मूवमेंट, दहाड़ने के कारण पता करने मंगलवार सुबह दोबारा वन अमले को जंगल में भेजा गया है।

वन विभाग के अफसरों ने जताई मेटिंग की संभावना : भोपाल फाॅरेस्ट सर्किल के कंजरवेटर एसपी तिवारी ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना के बाद से टीम मौके पर है। यहां पर नए बाघों का मूवमेंट बढ़ा है जिसका नाम टी- 3 और टी-4 रखा है। दोनों नर बाघ हैं। संभव है इन बाघों का आमना-सामना हो गया हो। उन्होंने बताया कि मैदानी अमले ने अब तक बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट की सूचना नहीं मिली है। लेकिन, बाघों में मेटिंग की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

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