शिक्षा पर सवाल – होशंगाबाद में 1556 छाञो को परीक्षा में नही बैठा पाये जिम्‍मेदार

नवलोक समाचार होशंगाबाद. यहां शिक्षा विभाग की बड़ी खामी उजागर हुई है, जिसमें राज्‍य शिक्षा केंद्र के आदेश पर प्रदेश भर में कक्षा 8 और कक्षा 5 की परीक्षाए बोर्ड पेर्टन पर कराई जा रही है, लेकिन होशंगाबाद के सभी ब्‍लाको से कुल 1556 छाञ परीक्षा में नही बैठे. जिसके बाद से अब शिक्षा विभाग के अधिकारियो को लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा तलब किया जा सकता है.

बता दें कि सरकारे शिक्षा और शिक्षा के स्‍तर को सुधारने का भरषक प्रयास कर रही है, लेकिन जिम्‍मेदारो की लापरवाही के चलते परिणाम ठीक नही आ रहा है, एक तरफ शिक्षा विभाग आरटीई के तहत निजी स्‍कूलो में कुछ सीट के 25 फीसदी बीपीएल के छाञो को प्रवेश दे रही है वही दूसरी तरफ मोटी शिक्षको को मोटी तन्‍खा बांटने के बाद भी सरकारी स्‍कूलो की हालत ठीक नही कर पा रही है, हालात ये है कि सरकारी स्‍कूलो के शिक्षक न तो समय पर पहुंचते और समय के बाद लौटते है. पड़ताल में सामने आया है कि ग्रामीण क्षेञो के स्‍कूलो में शिक्षक 2 बजे के बाद लौट आते है.

सोहागपुर, पिपरिया, बनखेड़ी, केसला, बाबई, सिवनी मालवा सहित होशंगाबाद ब्‍लाक में कक्षा 5 के 10241 में से 9714 छाञ ही परीक्षा में बैठै जिसमें 527 छाञो ने परीक्षा नही दी. तो कक्षा आठवी में 11705 में 10676 छाञ ही परीक्षा दे रहे है और 1029 छाञ  अज्ञात कारणो से परीक्षा से बंचित रह गये.

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उधर होशंगाबाद जिले के सोहागपुर के ग्राम भटगांव में प्रभारी प्राचार्य ने बच्‍चो को परीक्षा के प्रति आर्कषित करने के लिए मुनादी तक कर दी लेकिन 13 बच्‍चो ने उसके बाद भी परीक्षा नही दी.

जागरूकता और संवाद की कमी.

बता दें सरकारी स्‍कूलो के शिक्षक बच्‍चो को जागरूक करने सहित संवाद में पीछे है. सरकारी स्‍कूलो में गरीब और निम्‍न तबके के बच्‍चे ही अध्‍ययन कर रहे है. जिनको सारी सुविधाये भी दी जा रही है, लेकिन जानकारी के चलते छाञ माध्‍यांह भोजन लेने के बाद स्‍कूल से गायब हो जाते है. वही शिक्षक भी अपनी डयूटी को लापरवाही से करते हुए स्‍कूल टाइम से पहले ही घर निकल जाते है. बता दे कि होशंगाबाद में पूर्व कलेक्‍टर शीलेद्र सिंह द्वारा स्‍कूलो के दौरे कर बच्‍चो से सीधा संवाद किया जाता था, जिससे सरकारी स्‍कूलो के शिक्षक टाइम पर शाला पहुंचने लगे थे. वही शिक्षा मंञी प्रभुराम चौधरी भी लगातार सरकारी स्‍कूलो के दौरे करते रहे है. लेकिन सिस्‍टम की खामी के चलते शिक्षा का स्‍तर सुधर नही पा रहा है.

 

 

 

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