शिवराज ने, 13 साल में तीन बार भी वन्देमातरम नहीं गाया

राजू प्रजापति

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भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष अभय दुबे ने जारी अपने एक बयान में कहा है कि जिन्होंने मध्यप्रदेश की वंदना करने की अपेक्षा उसे वेदना दी हो, जिन्होंने राष्ट्रगीत पर भी सिर्फ राजनैतिक रोटियाँ सेंकी हो, उनसे अपेक्षा भी क्या की जा सकती है? पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 13 साल में 3 बार भी महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन जाकर वन्दे मातरम नहीं गाया। लगता है उन्हें राष्ट्रगीत पर भी ओछी राजनीति का रंग ही रास आया। आज भी भाजपा को वन्देमातरम का भावार्थ समझ नहीं आया।
अभय दुबे ने कहा कि तीन दिनों से बीजेपी के सारे विधायक मीडिया के डर के मारे वन्देमातरम का अर्थ जाने बगैर तोता रटन्त की तरह वंदे मातरम रट रहे हैं। नकारात्मक भूमिका से भाजपा के अंक जनता की नजरों में लगातार घट रहे हैं। आइए, जानते हैं 13 साल में आखिर शिवराज ने कैसा वन्देमातरम गाया, मध्यप्रदेश की वंदना का कितना फर्ज निभाया, मध्यप्रदेश को 1 लाख 87 हजार करोड़ के कर्ज में डुबाया, आर्थिक बदलाही के दौर में पहुँचाया, बेटियों से बलात्कार में लगातार 13 वर्ष मध्यप्रदेश नबर एक आया, 48 लाख बच्चों को 13 साल कुपोषण का दर्द पहुँचाया, 13 साल तक स्कूली शिक्षा में मध्यप्रदेश पूरे देश मे आखिरी नंबर पर आया, शिवराज फसलों के दाम माँगने पर किसानों को आपने मौत के घाट उतरवाया, 13 सालों तक 1 करोड़ युवाओं का भविष्य व्यापम में लुटवाया, क्या आपको कभी वंदे मातरम का भावार्थ समझ नहीं आया?
श्री दुबे ने कहा कि कमलनाथ सुशासन के लिए दिन रात मध्यप्रदेश की वंदना किए जा रहे हैं और आप हैं कि हार की हताशा में मध्यप्रदेश की तरक्की में बाधा पहुँचा रहे हैं। शिवराज संकीर्ण मानसिकता से बाज आइए, अपनी कुंठाओं से बाहर आइए, हार को पचाइये, वन्देमातरम के सच्चे अर्थ को समझ जाइए और सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाइए।

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