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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राफेल मुद्दे पर सरकार को क्लीन चिट दे दी। कोर्ट ने कहा कि राफेल विमान खरीद की प्रक्रिया में शक की कोई गुंजाइश नहीं है। इसमें कारोबारी पक्षपातों जैसी कोई बात सामने नहीं आई। संसद सत्र के पांचवें दिन दोनों सदनों में राफेल मुद्दा उठा। पक्ष में फैसला आने पर सरकार ने कांग्रेस से कहा कि राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए। इस मुद्दे पर एक बजे भाजपा अध्यक्ष प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे।
विपक्ष ने फिर उठाया राफेल का मुद्दा
शुक्रवार को विपक्षी सांसदों ने एक बार फिर राफेल का मुद्दा उठाया। वेल में बैनर-पोस्टर लेकर नारेबाजी की। इस पर भाजपा सांसदों ने कांग्रेस और राहुल के खिलाफ नारे लगाए। संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी कहा कि मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है, लिहाजा राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए। हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित कर दी गई।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मुद्दे पर देश को भटकाने का काम किया। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब की। उन्हें सदन और देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। राहुल सोचते हैं- हम तो डूबे हैं सनम, तुमको भी ले डूबेंगे।”

उधर, कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री आनंद शर्मा ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े किसी भी अहम बिंदु पर टिप्पणी नहीं की। राफेल डील की हम संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग करते हैं। जेपीसी को मामले से जुड़े सभी दस्तावेज देखने का अधिकार है।”

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 3 अहम बातें
ऐसे मामले में न्यायिक समीक्षा का नियम तय नहीं है। राफेल सौदे की प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है। 36 विमान खरीदने के फैसले पर सवाल उठाना गलत है।
रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने में कमर्शियल फेवर के कोई सबूत नहीं। देश फाइटर एयरक्राफ्ट की तैयारियों में कमी को नहीं झेल सकता।
कुछ लोगों की धारणा के आधार पर कोर्ट कोई आदेश नहीं दे सकता। इसलिए सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं।

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