सड़क दुर्घटनाओं में मदद को आगे क्यो नही आते लोग – असंवेदनशील होती मानवता

मुकेश अवस्थी।
आये दिन हाइवे पर सड़क दुर्घटना देखने को मिल रही है। जिनमे आजकल तेज रफ्तार से सड़कों पर दौड़ते ट्रक और नए नए बाइकर्स के कारण हादसों में अधिकांश मौत हो रही है। लेकिन सड़को पर तमाशबीन बनकर मोबाइल से वीडियो बनाने वाले दर्शक समाज और मानवता के प्रति अव्यवहारिक और असंवेदनशील होते जा रहे है। लोग पीड़ित घायल की मौके पर मदद नही करते बल्कि उनके तड़पते हुए वीडियो बनाते है , जो लोगो की खुदगर्जी पर भी प्रश्न चिन्ह लगा रही है।
बता दे कि आये दिन सड़को पर तेज रफ्तार व्हीकल जिनमे नई नई कारे और रेत से भरे डम्फर शामिल है , सड़को पर बिना रोकटोक और छोटे वाहनों या बाइकर्स को नजरअंदाज करते हुए दौड़ाये जा रहे है। उन की स्पीड पर कोई अंकुश नही है और न ही सरकारे नेशनल हाइवे सहित स्टेट हाइवे पर ब्रेकर्स आदि को बनवाकर लगातार सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर चिंता कर रही है और न ही पुलिस विभाग के यातायात प्रशिक्षण सहित थाना स्तर पर लोगो मे मानवीयता बनाने की कोशिश करवा रही है। जिससे लोग मानवता से दूर होते जा रहे है। सड़क सुरक्षा सप्ताह में पुलिस सिर्फ रश्म अदायगी कर कालेज और कुछेक स्कूली बच्चों को सड़क पर चलने आदि की सलाह तो दे रही है। लेकिन उन्ही युवाओ को मानवता का पाठ नही पढ़ा पा रही , जिसके चलते लोग सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगो की मदद करने उनकी जान बचाने के प्रयास आदि करने से दूर ही रहते है। देखा जा रहा है की लोग दुघर्टना में घायलों के वीडियो तो बनाते है लेकिन तड़पते लोगो को उठाकर अस्पताल तक पहुचाने की कोशिश नही करते , जिसकी मुख्य बजह आम आदमी का पुलिस के प्रति भय और कानूनी पेचीदगी में फंसने की अपेक्षा खुद को दूर रखना है। बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने भी दुर्घटनाओं में घायलों की मदद आदि करने वालो को उनकी मर्जी के विपरीत गवाह आदि नही बनाये जाने की गाइड लाइन भी जारी कर दी है। फिर भी लोग जानबूझकर भी कानूनी कार्यवाही से बचने की कोशिश के चलते मददगार नही बनते है।
मध्यप्रदेश भर की बात करे तो आये दिन सड़क हादसों में मरने वालो की संख्या पिछले 10 सालों में अचानक बढ़ी है जिसकी मुख्य बजह तेज रफ्तार वाहन और सड़क भी है। जिन पर बड़े वाहन ओर बाइक दौड़ाई जा रही है ,
होशंगाबाद जिले के बाबई का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे घायल अवस्था मे पड़े युवक का वीडियो आम लोग बनाते दिखाई दे रहे है ,लेकिन उसे उठाकर अस्पताल तक लोग नही पहुचा पाए जिससे उसकी मौत हो गई।
कानूनी की जानकारी का अभाव एवं पुलिस का डर

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सरकारे भले ही सोशल पुलिसिंग की बात कहती हो , लेकिन आज भी लोगो के मन मे पुलिस का ख़ौफ़नाक चेहरे भरा हुआ है। पुलिस को दोस्त बताने के प्रयास तो होते है लेकिन वही पुलिस जब लोगो को परेशान करती है तो लोग कानून से दूर भागने लगते है , ऐसा ही इन सड़क हादसों को लेकर हो रहा है , जिनमे लोग मदद करने की सोचते जरूर है लेकिन पुलिसिया ख़ौफ़ के चलते पीछे हट जाते है। बहरहाल लोगो को चाहिये कि ऐसे सड़क हादसों में आगे आकर लोगो की जान बचाये , कानून भी आम लोगो के लिये है यदि पुलिस आपसे मदद चाहती या गवाह भी बनाती है तो गवाह बनकर लोगो को न्याय भी दिलाये । तब ही लोगो मे सम्वेदनशीलता और मानवीयता के भाव जागेंगे , साथ ही सरकारे ऐसे जागरूकता अभियान भी चलाये जिनसे लोगो मे कानून के प्रति प्रेम का भाव पैदा हो , लोग डरकर नही बल्कि पुलिस की मदद के भाव से लोगो की जान बचाने स्वत आगे आना शुरू हो ।।

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