मध्यप्रदेश में 230 सीटों वाले विधानसभा के लिए हुए चुनाव में गुरुवार को मिले अंतिम आंकड़ों के मुताबिक करीब 75 फीसदी मतदान हुआ। यह 2013 के चुनाव परिणाम से (72.18 फीसदी) से 2.82 फीसदी ज्यादा है। 11 जिलों में पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार 3 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ। इन 11 जिलों में 47 विधानसभा सीटें हैं। इन 47 सीटों में से पिछली बार भाजपा के पास 37 सीटें और कांग्रेस के पास 9 सीटें थीं।
इस ज्यादा वोटिंग वाले 11 जिलों में से 6 जिले मालवा-निमाड़ के हैं, जिनमें इंदौर, रतलाम, आलीराजपुर, नीमच, धार और झाबुआ जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं।
मालवा-निमाड़ के इन 6 जिलों में 29 विधानसभा सीटें हैं। इनमें पिछले चुनाव में भाजपा ने 25 सीटें और कांग्रेस ने 3 सीटें जीती थीं।
भाजपा के गढ़ मालवा क्षेत्र में राजनीति पिछले एक साल में खासतौर पर साल 2016 में मंदसौर में गोलीबारी की घटना के बाद काफी हद तक बदल गई। इस घटना के बाद किसान आंदोलन ने सबसे ज्यादा इसी क्षेत्र को प्रभावित किया।

ग्वालियर और श्योपुर जिलों में भी ज्यादा मतदान हुआ है। यहां सपाक्स पार्टी और दलित आंदोलन का भी प्रभाव दिख रहा है।
जब भी 4 फीसदी से हुआ मतदान, सरकार पलट गई
1990 : स्व. सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में भाजपा ने चुनाव लड़ा और इस साल 4.36 फीसदी वोट बढ़ गए। इस चुनाव में जनता ने तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को सत्ता से हटा दिया।
1993 : प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने इस वर्ष अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, जिसके कारण प्रदेश में मतदान 6.03 प्रतिशत बढ़ा। जिसके बाद आए नतीजों में भाजपा की सरकार उखड़ गई।
1998 : इस चुनाव में मतदान का प्रतिशत 60.22 रहा जो साल 1993 के बराबर ही था। मतदान में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। तब दिग्विजय सिंह की दोबारा ताजपोशी हुई।
2003 : भाजपा ने उमा भारती के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। मतदान में 7.03 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया था और प्रदेश में दिग्विजय सिंह की 10 साल पुरानी सत्ता से बेदखल कर दी गई थी।
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