भाषण से गायब दिखे मुद्दे, नेताओं के जुबान पर चढ़े ऐसे जुमले

भोपाल। वक्त है बदलाव का…..माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज। इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास रहा। दोनों ही पार्टियों के बड़े चेहरों ने देश के दिल को जीतने की पूरी कोशिश की। भाजपा के लिए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और सीएम शिवराज सिंह ने मोर्चा संभाला तो वहीं कांग्रेस के प्रचार की कमान राहुल गांधी, पीसीसी चीफ कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों में रही।

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इस दौरान लोगों को कई जुमले सुनने को मिले। कहीं नामदार-कामदार का जिक्र आया, तो कहीं चालीस दिन, चालीस सवाल के जरिए विरोधी को घेरने की कोशिश की गई। अब भले ही पार्टियों को इसमें कामयाबी मिली हो य न हो, लेकिन जनता के लिए चुनाव बड़ा दिलचस्प रहा।

शुरुआत प्रदेश के सपनों को लूटने की बात से हुई। कांग्रेस ने इसे अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया। जुमला भी कुछ इसी तरह गढ़ा गया।
अब बात प्रदेश के सपनों को लूटने की आए तो भाजपा भला कहां चुप बैठती। निशाने पर राजा- महाराजा आ गए। शिवराज सिंह की सरल छवि को आगे करते हुए भाजपा ने भी नया जुमला गढ़ा। माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज !
जैसे-जैसे चुनाव प्रचार बढ़ता चला गया, वैसे-वैसे नए जुमले सामने आते गए। कांग्रेस ने सीएम शिवराज की ‘मामा’ वाली छवि पर कटाक्ष किया तो दूसरी तरफ से भी पलटवार हुआ। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के छतरपुर की सियासी रणभूमि से इसका जवाब दिया। उन्होंने एंडरसन और क्वात्रोची के बहाने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि शिवराज मामा को गाली देते हो, इन दोनों मामाओं को क्यों नहीं याद करते।
अच्छा होता कि आप शिवराज को गाली देने के बजाय अपने मामा क्वात्रोची को गाली देते, जिनके लिए आपने घर के दरवाजे खोलकर रखे थे। बोफोर्स कांड में शामिल क्वात्रोची आपको क्यों याद नहीं आए? आपके दूसरे मामा एंडरसन (भोपाल गैस कांड का आरोपी) को भी आपको याद नहीं आए, जिन्हें अमेरिका भगाने का काम राजा के पिता की सरकार ने किया था।

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