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देश की पहली पैरालीगल वॉलंटियर बनीं ट्रांसजेंडर संजना

भोपाल . समाज सेवा से जुड़ीं शहर की ट्रांसजेंडर संजना सिंह को जिला विधिक प्राधिकरण में प्रदेश की पहली पैरालीगल वॉलंटियर (पीएलवी) बनाया गया है। यही नहीं उन्हें लोक अदालत में खंडपीठ का सदस्य भी बनाया जाएगा। वे मार्च में लगने वाली लोक अदालत में खंडपीठ की सदस्य के रूप में जज के साथ बैठकर प्रकरणों की सुनवाई भी करेंगी।
अशोका गार्डन में रहने वालीं 36 वर्षीय ट्रांसजेंडर संजना सिंह ने बताया कि वह पैरालीगल वॉलंटियर बनने के बाद भी अपने समाज से जुड़ी हुई हैं। वे अपने समुदाय के लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए और उन्हें स्वरोजगार दिलाने के लिए एक अभियान चला रही हैं, ताकि पेट पालने के लिए वे अपराध की दुनिया में न उतरें।

उन्होंने बताया कि जिला विधिक प्राधिकरण ने उन्हें लोक अदालत की खंडपीठ में सदस्य के रूप में जज के साथ बैठकर सुनवाई का मौका भी दिया है। यह उनके लिए गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि जिला विधिक प्राधिकरण के पैरालीगल वॉलंटियर ने उन्हें बच्चों से जुड़े एक अभियान में काम करते देखा तो जज आशुतोष मिश्रा से मिलाया। इसके बाद उन्होंने मुझे भी पीएलवी बना दिया।

संघर्ष की कहानी…सारा समाज दुश्मन सा हो गया, घर-परिवार, दोस्त-स्कूल सब छूटा…

^बचपन में मेरे हाव-भाव को देखकर माता-पिता ने पहले यह बात छिपाकर रखी थी कि उनका बेटा एक किन्नर है। मैं 10वीं तक स्कूल में पढ़ी। जब मैं 14 साल की हुई तो शरीर में कुछ बदलाव आने लगे थे, जो बाकी लड़कों से अलग थे। कपड़े जरूर लड़कों वाले थे, लेकिन हाव-भाव और चाल लड़कियों जैसी होती जा रही थी। लड़कों के बीच मैं असहज महसूस करने लगी थी। जल्द ही बाहर वालों को पता चल गया कि मैं किन्नर हूं तो मेरे ऊपर मानो मुश्किलों का पहाड़ सा टूट पड़ा। सारा समाज एकाएक दुश्मन सा हो गया। दोस्त छूटे, स्कूल छूटा और घर-परिवार भी। 10वीं कक्षा में तो लड़के मुझे प्रताड़ित करने लगे। इससे मेरा जीना मुश्किल हो गया था। इसके बाद मेरे सामने पढ़ाई छोड़कर किन्नर समाज में शामिल होने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। अब मैं नए सिरे से पढ़ाई शुरू कर रही हूं। मैंने इग्नू से बीपीटी करने के लिए फॉर्म भरा है।

-संजना सिंह, पैरालीगल वॉलंटियर, जिला विधिक प्राधिकरण

ट्रांसजेंडर को मुख्यधारा से जोड़ना उद्देश्य

संजना सिंह को जिला विधिक प्राधिकरण में पैरालीगल वॉलंटियर बनाया गया है। मार्च में लगने वाली लाेक अदालत में उन्हें खंडपीठ की सदस्य के रूप में केसों की सुनवाई का मौका दिया जाएगा। इसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर को मुख्य धारा से जोड़ना है। -आशुतोष मिश्रा, सचिव, जिला विधिक प्राधिकरण

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