विराट कोहली ने फैट के कारण ग्रिल्ड चिकन छोड़ा तो झाबुआ के रिसर्च सेंटर ने दी कड़कनाथ खाने की सलाह

झाबुआ. भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली को झाबुआ के कड़कनाथ रिसर्च सेंटर (कृषि विज्ञान केंद्र) ने कड़कनाथ चिकन खाने की सलाह दी है। सेंटर ने अधिकारिक पत्र ट्विटर व पोस्ट के जरिए भेजा है। सेंटर के निदेशक आईएस तोमर ने फैट व कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने के डर से कोहली के ग्रिल्ड चिकन छोड़ने की मीडिया रिपोर्ट पढ़कर यह पत्र लिखा है।
तोमर का कहना है फैट ओर कोलेस्ट्रॉल के कारण यदि विराट कोहली और टीम इंडिया के खिलाड़ी ग्रिल्ड चिकन खाना छोड़कर वेगन (शाकाहारी) डाइट ले रहे हैं तो वे बिना डरे झाबुआ का कड़कनाथ चिकन खा सकते हैं। इसमें न के बराबर फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है। इसमें आयरन और ल्यूरिक एसिड पर्याप्त मात्रा में होता है। तोमर ने पत्र में हैदराबाद के नेशनल मीट रिसर्च संस्थान की रिपोर्ट की प्रति भी संलग्न की है, जो आम चिकन और कड़कनाथ चिकन में मौजूद फैट-प्रोटीन-कोलेस्ट्रॉल आदि के अंतर को दर्शाती है।
तोमर का कहना है मैंने कुछ मीडिया रिपोर्ट में पढ़ा था कि विराट कोहली अपनी हेल्थ को लेकर बहुत संजीदा हैं और अपने पसंदीदा ग्रिल्ड चिकन को फैट और कोलेस्ट्रॉल के कारण छोड़कर शाकाहारी डाइट अपना चुके हैं। कोहली व अन्य खिलाड़ी देश की शान हैं और इस कारण उनकी फिटनेस में कहीं कमी आने की आशंका है तो उसके लिए हमने पत्र लिखकर सुझाव दिया है। तोमर ने पत्र में यह भी लिखा है कि टीम के सदस्यों की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त कड़कनाथ उपलब्ध कराया जा सकता है।

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छह महीने की लड़ाई के बाद झाबुआ का हुआ था कड़कनाथ मुर्गा : कड़कनाथ मुर्गों के लिए झाबुआ को जीआई टैग छह महीने की लड़ाई के बाद मिला था। झाबुआ में कृषि विज्ञान केंद्र के साथ काम करने वाले ग्रामीण विकास ट्रस्ट (जीवीटी) ने 2012 में कड़कनाथ पर जीआई टैग के लिए एप्लाय किया था। बाद में दंतेवाड़ा कलेक्टर ने जीआई टैग के लिए एप्लाय कर दिया। फिर तत्कालीन झाबुआ कलेक्टर आशीष सक्सेना ने पशुपालन विभाग को पत्र लिखकर 2012 में की गई कार्रवाई से अवगत कराया। तब छग ने क्लेम वापस लिया और कड़कनाथ झाबुआ का हुआ। इसे अब ‘झाबुआ का कड़कनाथ’ कहा जाता है।

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