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शिवराज सिंह ने किया ट्वीट, सरकार पर लगाए यू-टर्न के आरोप

भोपाल। मध्य प्रदेश में मीसाबंदियों की सम्मान निधि पर शुरू हुई सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे लेकर एक ट्वीट किया है, जिसमें कमलनाथ सरकार पर मीसाबंदियों की सम्मान निधि रोकने पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्वीट में प्रदेश सरकार के आदेश का हवाला दिया है और इसे सरकार का यू-टर्न बताया है।

बता दें कि कमलनाथ सरकार ने मीसाबंदियों को मिलने वाली सम्मान निधि जारी करने से पहले सत्यापन का आदेश दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी आदेश को आधार बनाकर सरकार पर निशाना साधा है। दरअसल इस आदेश में ये कहा गया है कि, मीसाबंदियों को मिलने वाली सम्मान निधि के भुगतान के लिए मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन होगा। इसमें लोकतंत्र सेनानियों और उनके आश्रित भी शामिल रहेंगे, जिन्हें इसका फायदा मिल रहा है। आदेश के मुताबिक ये काम राजस्व निरीक्षक से नीचे का कोई कर्मचारी करेगा। वहीं सत्यापन के दौरान कर्मचारी स्थानीय लोगों से पूछताछ करेगा और पूरी जांच हो जाने के बाद ही मीसाबंदियों को सम्मान निधि जारी की जाएगी।
43 साल पहले केंद्र की कांग्रेस सरकार में घोषित आपातकाल में जो लोग राजनीतिक कारणों से जेल में निरुद्ध (बंद) रहे, उन्हें लोकतंत्र सेनानी एवं मीसाबंदी कहा जाने लगा। इनमें ज्यादातर कांग्रेस के विरोधी दल (जनसंघ) के थे इसलिए जनसंघ से ही बनी भाजपा की सरकार ने मप्र में दस साल पहले इन्हें सम्मान निधि देने की शुरुआत की थी।

मध्य प्रदेश में इस समय 1800 से 2000 मीसाबंदियों को 25 हजार रुपए बतौर सम्मान निधि के रूप में दिए जा रहे हैं। मप्र में सम्मान निधि से जुड़ा विधेयक पारित करते समय विधानसभा में सरकार की ओर से कहा गया था कि इस मद में शासन पर करीब 40 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, लेकिन हाल ही में जानकारी दी गई है कि व्यय भार 75 करोड़ रुपए सालाना हो गया है। इसे जांचने लिए ही कमलनाथ सरकार ने जेल रिकॉर्ड से मिलान, मीसाबंदियों की उम्र आदि बिंदुओं पर सत्यापन के आदेश जारी किए हैं। जिस पर बवाल हो रहा है।

कांग्रेस-भाजपा सभी के नेता ले रहे सम्मान निधि

मीसाबंदी ने भले ही दो राजनीतिक धड़ों में विभाजन रेखा खींची हो, लेकिन उसकी सम्मान निधि ने कोई भेद नहीं किया। कमलनाथ सरकार के वरिष्ठ मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, तुलसी सिलावट और कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा भी मीसाबंदी रहे हैं। केके मिश्रा को तो सम्मान निधि भी मिल रही है। इधर भाजपा में सम्मान निधि पाने वालों में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत सहित प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कैलाश जोशी और बाबूलाल गौर सहित कई दिग्गज नेता शामिल हैं। लाभार्थियों में सांसद-विधायक भी रहे हैं।

जिला समिति करती थी प्रमाणित

आपातकाल के दौरान राजनीतिक बंदियों के रूप में जेल की सजा काटने वालों को मीसाबंदी की पात्रता तय करने के लिए सरकार ने हर जिले में चार लोगों की समिति बनाई थी। समिति में प्रभारी मंत्री, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक के अलावा जेल अधीक्षक को भी सदस्य बनाया गया था। जेल का प्रमाण पत्र देखने के बाद ही समिति लोकतंत्र सेनानी के रूप में प्रमाणित कर सम्मान निधि की अनुशंसा करती थी।

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