भोपाल. पंद्रह साल की भाजपा सरकार के दौरान कांग्रेस, बसपा समेत दूसरे दलों के लोगों पर राजनीतिक दुर्भावना से दर्ज किए गए केस कमलनाथ सरकार वापस लेगी। इसमें किसान आंदोलन, मंदसौर गोलीकांड के बाद और एससीएसटी एक्ट के दौरान हुए प्रदर्शन से जुड़े मामले भी शामिल रहेंगे। कैबिनेट बैठक में इसकी प्रक्रिया को मंजूरी दे दी गई है। प्रदेश भर में ऐसे करीब आठ हजार मामले हैं। अकेले भोपाल में 308 प्रकरण हैं।
बैठक में खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि उनका केस विशेष अदालत में चल रहा है। उसे भी शामिल किया जाए। विधायकों-सांसदों पर लगे केस भी माफ हों। इस पर कमलनाथ ने कहा कि विधायक-सांसदों के केस के बारे में बाद में विचार करेंगे क्योंकि ये स्पेशल कोर्ट में चलते हैं।
सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया ने कहा कि जो प्रक्रिया तय की गई है वह लंबी हो जाएगी। खेलमंत्री जीतू पटवारी ने भी कहा कि कई राजनेताओं पर 302 व 307 के प्रकरण हैं। इन्हें भी वापस लिया जाए।
कर्जमाफी – अब तक 3.49 लाख किसानों ने आवेदन किया :
बैठक में मंत्रियों ने कहा कि कर्जमाफी की कटऑफ डेट (जिस तारीख तक का कर्ज माफ होना है) को लेकर भ्रम की स्थिति है। इस पर बताया गया कि 31 मार्च 2018 तक कर्ज लेने वाले किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्जा माफ होगा। इसी तरह 31 मार्च 2018 तक कर्ज लेने वाले किसान ने यदि 12 दिसंबर 2018 के बीच पूरा या आंशिक कर्ज चुकाया है तो उसे भी कर्ज माफी का लाभ मिलेगा। मंत्रियों ने कुछ जगह फार्म नहीं पहुंचने की बात कही तो कमलनाथ ने कहा कि इसकी दिक्कत खत्म हो जाएगी। बताया जा रहा है कि 17 जनवरी तक 3 लाख 49 हजार किसानों ने कर्ज माफी के लिए आवेदन कर दिया है।
जिला-राज्य स्तर पर कमेटी; भोपाल नहीं आना पड़ेगा :
नई प्रक्रिया में किसी व्यक्ति को भोपाल आने की जरूरत नहीं होगी। जिला व राज्य स्तर पर कमेटी बनाई गई है। संचालक लोक अभियोजन को संयोजक एवं नोडल एजेंसी घोषित किया गया है। जिला स्तरीय समिति में कलेक्टर को अध्यक्ष, एसपी को सदस्य व जिला लोक अभियोजन अधिकारी को सदस्य सचिव बनाया गया है। राज्य स्तरीय समिति में अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव गृह विभाग, प्रमुख सचिव विधि एवं विधायी कार्य, डीजीपी और महाधिवक्ता अथवा उनके द्वारा नामांकित प्रतिनिधि सदस्य होंगे।
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