भोपाल. विधानसभा चुनावों में मिले वोटों के आधार पर 29 में से 12 लोकसभा सीटों पर पिछड़ रही भाजपा मकर संक्रांति के बाद से ही आम चुनाव के लिए जुटने जा रही है। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश संगठन को इसके संकेत दे दिए। शाह ने विधानसभा चुनाव के दौरान बनाई गई लोकसभा चुनाव अभियान समिति को भी एक्टिव कर दिया है।
आलाकमान मान रहा है कि विदिशा, खजुराहो, रतलाम, देवास, गुना, छिंदवाड़ा समेत 11 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर नए सिरे से संगठन में चर्चा की जरूरत है। क्योंकि इस बार कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांतिलाल भूरिया की सीटों पर भी नई रणनीति व दमदार प्रत्याशी के साथ मैदान में उतरना है। इसीलिए शाह ने अपने स्तर पर भी सीटों का फीडबैक मांग लिया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बात की भी तैयारी हो रही है कि तमाम दिग्गजों को इस बार मैदान में उतारा जाए। पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व में केंद्रीय राजनीति में जाने से मना कर दिया था, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इसके लिए राजी नहीं है।
राज्य सभा सदस्यों प्रभात झा व केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत को लेकर भी संगठन विचार कर रहा है। हालांकि अंतिम निर्णय आलाकमान ही लेगा। बताया जा रहा है कि इस बार तमाम सीटों पर प्रत्याशी चयन में अमित शाह की भूमिका ही रहेगी। भाजपा ने खजुराहो संसदीय सीट से सांसद नागेंद्र सिंह और देवास संसदीय सीट से सांसद मनोहर ऊंटवाल को विधानसभा चुनाव में उतार दिया था।
दोनों जीत गए। चूंकि मप्र में भाजपा की विधानसभा सीटें 109 हैं और आगे जाकर यदि कांग्रेस की अल्पमत वाली सरकार गिरती है तो सीटों का नंबर गेम अहम साबित होगा। इसलिए भाजपा एक भी विधायक को चुनाव में नहीं उतारेगी। इसीलिए कुछ जगहों पर नए व दमदार चेहरों की भी जरूरत होगी।
ये है 11 सीटों का गणित:
11 सीटों में गुना, सागर, खजुराहो, रीवा, सीधी, छिंदवाड़ा, विदिशा, भोपाल, राजगढ़, देवास और रतलाम शामिल हैं।।
रीवा और सीधी सीट पर क्रमश: जनार्दन मिश्रा और रीति पाठक पहली बार के सांसद हैं। इस बार इन दिनों सीटों पर कांग्रेस की ओर से दमदार चेहरे अजय सिंह, पुष्पराज सिंह, सुंदरलाल तिवारी हो सकते हैं।
रतलाम व शहडोल सीट भाजपा ने दमदार चेहरों दिलीप सिंह भूरिया व दलपतसिंह परस्ते के कारण 2014 में कांग्रेस से छीनी थी। ये दोनों चेहरे दुनिया में नहीं हैं। शहडोल में हालांकि पार्टी पूर्व मंत्री ज्ञान सिंह पर फिर दांव लगा सकती है, लेकिन रतलाम में उसे नया चेहरा तलाशना होगा। क्योंकि दिलीप सिंह के निधन के बाद कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने उपचुनाव में यह सीट भाजपा से छीन ली थी।
विदिशा से सांसद व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। इसलिए यहां पार्टी शिवराज सिंह चौहान को चेहरा बना सकती है। भोपाल से आलोक संजर सांसद हैं। इस सीट पर बदलाव की अटकलें हैं। प्रत्याशी बाहर से आने की ज्यादा संभावना है। यदि स्थानीय प्रत्याशी को लेकर सहमति बनती है तो उमाशंकर गुप्ता को चेहरा बनाया जा सकता है।
राजगढ़, छिंदवाड़ा में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिली है। इसलिए यहां चुनौती भाजपा के लिए बढ़ गई है। सागर में भाजपा सांसद लक्ष्मीनारायण यादव की उम्र 74 साल हो गई है। हाल ही में उनका बेटा विधानसभा का चुनाव हारा है।
उज्जैन में बाहरी का जोर:
यहां से भारतीय जनता पार्टी के चिंतामणि मालवीय सांसद हैं। उन्होंने 2014 के चुनाव में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को हराया था। गुड्डू 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का दामन थाम चुके हैं। वे 2009 में भाजपा के सत्यनारायण जटिया को हराकर सांसद बने थे। इसलिए इस सीट पर उम्मीदवार चयन को लेकर कशमकश हो सकती है। गुड्डू भी टिकट के लिए जोर लगा सकते हैं। दूसरी ओर पार्टी थावरचंद गेहलोत को उतारती है तो वे भी इसी सीट से दावा करेंगे।
ये फीडबैक के आधार पर टिकेंगे:
धार, खरगौन और मंदसौर संसदीय सीट को लेकर भाजपा फीडबैक का इंतजार कर रही है। यहां भाजपा की ओर से पहली बार के सांसद क्रमश: सावित्री ठाकुर, सुभाष पटेल व सुधीर गुप्ता हैं।
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