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दुष्कर्म की एफआईआर में पॉक्सो की धाराएं नहीं; सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यही है आपकी गंभीरता?

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में गलत एफआईआर दर्ज किए जाने पर बिहार सरकार को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को हुई सुनवाई में कहा- आप (बिहार सरकार) क्या कर रहे हैं? यह शर्मनाक है। अगर बच्चियों के साथ अप्राकृतिक कृत्य हुआ है तो आप कह रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ। आप यह कैसे कह सकते हैं? यह अमानवीय है। हमसे कहा गया था कि मामले को बेहद गंभीरता से लिया जाएगा। यही है आपकी गंभीरता? जज ने कहा- हर बार जब मैं यह फाइल पढ़ता हूं तो दुख होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को एफआईआर में 377 (आईपीसी) और पाेक्सो एक्ट की धाराएं जोड़ने के लिए 24 घंटे का वक्त दिया। कोर्ट ने कहा- अगर हमने पाया कि बच्चियों के साथ इन धाराओं में भी अपराध हुआ है तो हम सरकार के खिलाफ आदेश जारी करेंगे। कोर्ट ने एफआईआर में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीस) की रिपोर्ट का जिक्र करने का भी आदेश दिया।

टीस की रिपोर्ट में हुआ था खुलासा

यह मामला मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में 34 लड़कियों से दुष्कर्म होने से जुड़ा है। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की बिहार के समाज कल्याण विभाग को भेजी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में लड़कियों से ज्यादती होने का खुलासा हुआ था। यह शेल्टर होम बृजेश ठाकुर चलाता था, जो पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू के पति चंद्रशेखर का दोस्त है। 31 मई को ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले के खुलासे के बाद मंजू ने बिहार की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था।

आर्म्स एक्ट में हुई मंजू की गिरफ्तारी

मंजू के पति के घर सीबीआई के छापे के दौरान 50 कारतूस मिले थे। इसके बाद मंजू और उनके पति चंद्रशेखर पर आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंजू की गिरफ्तारी नहीं होने पर बिहार पुलिस को फटकार लगाई थी। बाद में 20 नवंबर को मंजू ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।

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