
सौ साल से लगातार रामलीला का मंचन
आजादी के पहले से ही गांधी चौक पर रामलीला का मंचन किया जा रहा है जिसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा ही राम चरित्र का वर्णन किया जाता है। रामलीला की शुरुआत लक्ष्मी नारायण जोशी द्वारा की गई थी जो अब 103 वर्षों से लगातार जारी है।
स्थानीय कलाकारों ने जीवंत रखी रामलीला , पहले दिन गणेश वंदना और नारद मोह की लीला हुई
नवलोक समाचार,सोहागपुर। यहां पिछले 102 वर्षों से गांधी चौक पर रामलीला का मंचन सतत् हो रहा है, रामलीला के लिए स्थानीय कलाकारों द्वारा ही अलग अलग पात्रों का पाठ किया जाता है कलाकार भी कोई प्रोफेशनल नहीं बल्कि रामचरित्र को जीवंत रखने की भावना से मंचन करते आ रहे हैं। टीवी ने भले ही रामानंद सागर की रामायण को घर घर पहुंचा दिया हो लेकिन 102 वर्षों से नगर के लोगों ने जो परंपरा तय की थी वह आज भी सुचारू रूप से जारी है।
बता दे कि रामलीला का मंचन भले ही स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जाता है लेकिन आज भी रामलीला समिति से जुड़कर जो लोग सेवा कर रहे हैं उन्हें किसी तरह का लालच नहीं बल्कि स्वत भाव से मंचन करते आ रहे हैं। नगर में 1922 में लक्ष्मीनारायण जोशी द्वारा गांधी चौक पर रामलीला की शुरुआत आजादी से पहले की थी, जिसे बाद में पन्नालाल चौरसिया मुनीम जी ने बखूबी निभाया, पन्नालाल मुनीम ने जीवित रहते हुए रामलीला को क्षेत्र में पहचान दी थी, एक दशक पहले तक गांधी चौक पर हजारों की संख्या में दर्शक मौजूद होते थे, समय बदला टीवी धारावाहिक रामायण से घर घर तक राम चरित्र लोगों को देखने मिला, जिसके बाद रामलीला में भीड़ कम होती गई। पन्नालाल मुनीम ने रामलीला में अथक मेहनत की , जिसके बाद उन्होंने अंतराम खटीक जैसे कलाकार को रावण के पात्र के लिए चुना जिनका नाम अब भी लोगों के मन में है। पन्नालाल मुनीम ने साहबलाल मालवीय, केदारनाथ चौरसिया,एनपी वर्मा, छोटे लाल सराठे, शैलेंद्र दुबे, घनश्याम किन्नर , किन्नर सलमा आदि आदि को रामलीला मंच के लिए तैयार किया।
अब अखलेश मालवीय, अनिल जैन और उनके साथी रामलीला को जीवित रखने प्रयास कर रहे हैं।आपको बता दे कि श्री राम नाट्य समिति द्वारा 12 दिन की लीला का मंचन किया जाता है जिसमें प्रथम दिवस गणेश वंदना और नारद मोह की लीला का पाठ किया गया।





