नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आर्म्स एक्ट मामले में बिहार की पूर्व कैबिनेट मंत्री मंजू वर्मा की गिरफ्तारी नहीं होने पर सोमवार को राज्य पुलिस को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने डीजीपी को समन जारी किया है। उन्हें 27 नवंबर को कोर्ट में पेश होकर जवाब देना होगा।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एमबी लोकुर ने कहा, ‘‘बहुत खूब! यह कैसे हो सकता है कि (पूर्व) कैबिनेट मंत्री फरार हैं और कोई नहीं जानता वे कहां हैं। आप सोचिए कितनी गंभीर बात है कि कैबिनेट मंत्री का पता नहीं है। ये तो हद है। हम हैरान हैं कि पुलिस एक महीने में भी पूर्व कैबिनेट मंत्री को गिरफ्तार नहीं कर सकी। हम चाहेंगे कि पुलिस बताए कि आखिर वह एक खास व्यक्ति का पता कैसे नहीं लगा पाई। डीजीपी हमारे सामने पेश होकर जवाब दें।’’ मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।
टाटा इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में हुआ था खुलासा
यह मामला मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में 34 लड़कियों से दुष्कर्म होने से जुड़ा है। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की बिहार के समाज कल्याण विभाग को भेजी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में लड़कियों से ज्यादती होने का खुलासा हुआ था।
यह शेल्टर होम बृजेश ठाकुर चलाता था, जो पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा का दोस्त है। 31 मई को ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
इस मामले के खुलासे के बाद मंजू वर्मा ने बिहार की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। मंजू के पति के घर सीबीआई के छापे के दौरान 50 कारतूस मिले थे। इसके बाद मंजू और उनके पति चंद्रशेखर पर आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मंजू की गिरफ्तारी नहीं होने पर पिछले महीने भी बिहार पुलिस को फटकार लगाई थी।
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