भोपाल। रविवार आधी रात के बाद मौसम का मिजाज अचानक बदल गया। सीजन में पहली बार उत्तरी, मध्य और पश्चिमी मध्यप्रदेश के सभी जिलों में घना कोहरा छा गया। इस दौरान भोपाल में सुबह छह बजे विजिविलटी (दृश्यता) शून्य पर पहुंच गई। कोहरे का असर उत्तर भारत से आने वाली ट्रेनों और हवाई यात्रा पर भी पड़ा है। दिल्ली से आने वाली अधिकतर ट्रेन देरी से चल रही हैं। भोपाल एयरपोर्ट पर कई फ्लाइट लैंड नहीं हो पा रही हैं। कड़ाके की सर्दी को देखते हुए ग्वालियर में स्कूलों की चार दिन की छुट्टी घोषित कर दी गई है।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक पीके साह ने बताया कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में तो इस तरह का मौसम रहना संभावित था। लेकिन इसका प्रदेश के मध्य और पश्चिमी क्षेत्र तक आ गया। इस वजह से भोपाल में घना कोहरा छाया हुआ है। भोपाल में सुबह छह बजे विजिविलटी शून्य पर पहुंच गई। वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ गई है। साथ ही पहाड़ों में बर्फबारी होने के कारण कोहरा छाया हुआ है। इससे दिन व रात के तापमान में और गिरावट आ सकती है।
फ्लाइट लैंड नहीं हुई: भोपाल शहर सहित एयरपोर्ट पर शून्य विजिविलटी के कारण कई फ्लाइट लैंड नहीं हो पा रही है। शनिवार से शुरू हुई हैदराबाद फ्लाइट एक घंटे तक हवा में चक्कर लगाने के 9 बजे के करीब लैंड हुई। इसी तरह दिल्ली और मुंबई से आने वाली उड़ाने भी काफी देर तक हवा में चक्कर लगाने के बाद लैंड हो सकी।
मंडला सबसे ज्यादा ठंडा: बीते 24 घंटों में प्रदेश में सबसे ज्यादा ठंडा मंडला और बैतूल रहा यहां न्यूनतम तापमान 6 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं भोपाल में न्यूनतम तापमान 6.2 डिग्री दर्ज किया गया। इस दौरान सीधी में 8.4 और मंडला में 1.0 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।
ग्वालियर में स्कूलों की छुट्टी: कड़ाके की सर्दी और आने वाले दिनों में ऐसा ही मौसम की संभावना को देखते हुए ग्वालियर में स्कूलों में चार दिन की छुट्टी घोषित कर दी गई है। रविवार रात कलेक्टर की ओर से जारी आदेश में सात से दस जनवरी तक स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है। ये आदेश निजी और सीबीएसई स्कूलों पर भी लागू होगा।
क्या है कोहरा?
जब आर्द्र हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है तब जलवाष्प संघनित होकर जल की सूक्ष्म बूंदें बनाती है। कभी-कभी अनुकूल परिस्थितियों में हवा के बिना ऊपर उठे ही जलवाष्प जल की नन्हीं बूंदों में बदल जाती है तब हम इसे कोहरा कहते हैं। तकनीकी रूप से बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल को कोहरा कहा जाता है। यह वायुमंडल में जमीन की सतह के थोड़ा ऊपर ही फैला रहता है। किसी घने कोहरे में दृश्यता एक किमी से भी कम हो जाती है। इससे अधिक दूरी पर स्थिति चीजें धुंधली दिखाई पड़ने लगती हैं।
कैसे बनता है कोहरा?
सापेक्षिक आर्द्रता शत प्रतिशत होने पर हवा में जलवाष्प की मात्रा स्थिर हो जाती है। इससे अतिरिक्त जलवाष्प के शामिल होने से या तापमान के कम होने से संघनन शुरू हो जाता है। जलवाष्प से संघनित छोटी पानी की बूंदे वायुमंडल में कोहरे के रूप में फैल जाती हैं।
धुंध : जब कोहरे का धुएं के साथ मिश्रण होता है तो उसे धुंध (स्मॉग) कहते हैं। कुहासा या धुंध भी एक तरह का कोहरा ही होता है बस दृश्यता का अंतर होता है। यदि दृश्यता की सीमा एक किमी या इससे कम हो तो उसे कुहासा या धुंध कहते हैं।
कोहरा और कुहासा में अंतर : कोहरा और कुहासा दोनों हवा के निलंबित कणों पर जल की सूक्ष्म बूंदों से बने होते हैं। इनमें जल की सूक्ष्म बूंदों के घनत्व के कारण अंतर होता है। कुहासे की तुलना में कोहरे में जल की सूक्ष्म बूंदें अधिक होती हैं। कोहरे की एक परिभाषा के अनुसार कोहरे में दृश्यता सीमा 1,000 मीटर से कम रह जाती है।
ड्यू प्वाइंट : तापमान की वह अवस्था जिस पर हवा में मौजूद जल वाष्प संतृप्त होकर संघनित होना शुरू करती है। हवा में जलवाष्प की कुछ मात्रा मौजूद रहती है जिसे आर्द्रता या नमी कहा जाता है। हवा में जलवाष्प की यह मात्रा ताप और वायुदाब पर निर्भर करती है। एक निश्चित वायुदाब और ताप पर हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा निर्धारित होती है।
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