नगर पालिकाओ के कार्यकाल समाप्त
मुकेश अवस्थी।
मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा राज्य के कई नगरीय निकायों की परिषद के कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी अभी तक न तो प्रशासक नियुक्त कर पाया है और न ही कार्यवाहक अध्यक्ष बनाकर समितियों का गठन कर पाया है। बता दे की शासन ने फिलहाल 12 जिलो में ही प्रशासक नियुक्त किये है लेकिन अभी भी कई जिलों के निकाय में काम ठप्प हो गया है। वही अध्यक्षयो के कार्यकाल समाप्ति आदि को लेकर भी अभी तक कोई भी आदेश शासन की तरफ से स्थानीय सीएमओ के पास नही भेजा गया है।
कमलनाथ सरकार के सामने नगरीय निकाय चुनाव एक चुनोती के समान है दरअसल मध्यप्रदेश भर की सभी निकायों में से 80 फीसदी पर भाजपा की परिषद और अध्यक्ष है। तो 20 फीसदी पर ही कांग्रेस के अध्यक्ष चयनित हुए थे। ऐसे में अब कमलनाथ सरकार जनता के बीच अपनी सरकार की उपलब्धियों को लेकर जाना चाहती है लेकिन महज एक साल के कार्यकाल के कामकाज सरकार को कम दिखाई दे रहे है। वही सरकार अब ये फैसला ले सकती है कि निकायों में कार्यवाहक अध्यक्ष का मनोनयन कर 4 सदस्यीय कमेटी बनाई जाए , इसके लिये केबिनेट में जल्दी की प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। जिन निकायों में कांग्रेस के अध्यक्ष है वहां उनके कार्यकाल को बढ़ाकर उन्हें ही कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जा सकता है तो जिन निकायों में भाजपा के अध्यक्ष है वहां किसी कांग्रेस नेता को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जा सकता है। जो कि वित्तीय अधिकार के साथ निकाय का काम देखेगे , उधर बताया जा रहा है कि नगर निगम और अन्य निकायों का कार्यकाल दिसम्बर में समाप्त हो जाने पर सरकार ने चुनाव को आगे के लिये टाल दिया था। जिन्हें अब कमलनाथ सरकार दिसम्बर 2020 तक ले जाना चाहती है इसके लिए निकायों में नियुक्त किये जा रहे कार्यवाहक अध्यक्षयो के कार्यकाल को छः छः माह के लिये आगे बढ़ाया जा सकता है।
बता दे कि कई निकायों में पिछले एक महीने से अध्यक्षयो के कार्यकाल समाप्त होने के बाद से वित्तीय लेनदेन ठप्प हो गया था , जिससे डीजल पेट्रोल और बिजली के बिलों के भुगतान सहित कर्मचारियों के वेतन भुगतान भी नही हुए थे , बताया जा रहा है कि अब शासन ने मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को ही वित्तीय प्रभार आवंटित कर दिए है।
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