भोपाल। नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने बुधवार को विभाग की तमाम योजना की समीक्षा की। इस दौरान प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन प्रमोद अग्रवाल ने राजधानी के बीआरटीएस कॉरिडोर का प्रेजेंटेशन भी दिखाया। इस पर मंत्री सिंह ने बीआरटीएस कॉरिडोर का नए सिरे से रिव्यू करने के आदेश दिए हैं। साथ ही यह पड़ताल करने को भी कहा है बीआरटी कॉरिडोर कितना उपयोगी है, इससे लोगों को परेशानी तो नहीं हो रही है।
मंत्री के आदेश के बाद विभाग ने कॉरिडोर के रिव्यू की तैयारियां शुरू कर दी हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि रिव्यू में उन लोगों को शामिल किया जाना चाहिए जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इससे प्रभावित होते हैं।
जानकारों की राय है कि जिम्मेदारों को रिव्यू के लिए कॉरिडोर का परफॉरर्मेंस असेसमेंट करना चाहिए। क्या जिस सोच के साथ कॉरिडोर बनाया गया था, वह उस पर खरा उतर रहा है? अगर नहीं उतर रहा है तो उसमें सुधार की कितनी गुंजाइश है? अगर सुधार संभव नहीं है तो ऐसी स्थिति में क्या किया जाना चाहिए? इसके लिए जरूरी है कि शहर की जनता से बात की जाए कि क्या उनको कॉरिडोर से समय पर, सुरक्षित, सुविधाजनक, सस्ता और बेहतर परिवहन मिल रहा है?
ये है स्थिति
कर्मचारी आैर स्टूडेंट – बसों का समय नियमित नहीं होने के कारण कर्मचारी और स्टूडेंट चाहकर भी बसों में सफर नहीं कर पाते हैं।
फीडर सिस्टम – घर से कॉरिडोर तक पहुंचने के लिए कोई वाहन सुविधा नहीं है। ऐसे में एक-दो किलो मीटर दूर रहने वाला व्यक्ति कैसे बस में सफर करेगा।
च्वाॅइस राइडर – ऐसे लोग जो अपने वाहनों से चलते हैं, वे कॉरिडोर में चलने वाली बसों में शिफ्ट हो सकते थे। लेकिन, पूरी सुविधाएं नहीं होने से शिफ्ट नहीं हुए।
इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम – बस स्टॉप पर लगाई गई टिकिट मशीनें तक काम नहीं कर रही हैं। डिस्प्ले में बसों के आने-जाने की जानकारी भी नहीं मिलती है। यात्री बस स्टॉप पर इंतजार करने को मजबूर हैं।
लीकेज इन ट्रांजिट राइडरशिप – मिनीबस, मैजिक वाहन, आपे समेत दूसरे ऐसे वाहन जो कॉरिडोर की बसों के यात्रियों की संख्या में सेंध लगाते हैं।
Comments are closed.