जालंधर/गुरदासपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विज्ञान ने देश के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है। विज्ञान को सामान्य लोगों से जोड़ना होगा और देश के उन्नति के लिए सस्ते व कारगर तकनीक विकसित करनी होगी। उन्होेंने सस्ती तकनीक और कारगर इस्तेमाल का मंत्र दिया। इसके साथ्रा ही उन्होंने देश के लिए नया नारा दिया- जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान’। उन्होंने जालंधर के फगवाड़ा स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू ) 106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री पहले आदमपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे और वहां से हेलीकाप्टर से एलपीयू पहुंचे। उनका यहां पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साइंस को सामान्य लोगों से जाेड़ना होगा। हमें दुनिया की लीडरशिप लेने के लिए बहुत कुछ करना है। लोगों के जीवन के सभी पहलुओं को आसान बनाने के लिए काम करना होगा। विज्ञान का देश की प्रगति और लोगों के कल्याण में बहुत महत्व है। आज जरुरी है कि कम कीमत मेें कारगर तकनीक विकसित किए जाने की जरूरत है। किसानों के लिए सस्ते और कारगर तकनीक विकसित किए जाने की जरूरत है। बंजर धरती को उपजाऊ, कम वर्षा की समस्या से निजात दिलाने की दिशा मेें काम किए जाने की जरूरत है।
इंडियन साइंस कांग्रेस का शुभारंभ किया, दुनिया भर के वैज्ञानिक पहुंचे
उन्होंने कहा कि कई सवालों पर मंथन किया जाना आवश्यक है। क्या हम अपने देश की कम बारिश वाले इलाकों में बेहतर और वैज्ञानिक ढंग से ड्रोन मैनेजमेंट पर काम कर सकते हैं, क्या प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी के क्षेत्र में और सुधार कर सकते हैं ? इन सवालों के हल से कृषि क्षेत्र को फायदा तो होगा ही तमाम लोगों की जिंदगी को भी बचाया जा सकता है। हमे सोचना होगा कि क्या हम हम देश में दशकों से चली आ रही मानवीय समस्याओं के समाधान के लिए टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। इनसे हम अपने बच्चों को चिकनगुनिया जैसी बीमारियों को बचा सकते हैं।
साइंस एवं टेक्नोलॉजी में बेहतर इलाज करने की तरीका ढूंढें
उन्होंने वैज्ञानियों से कहा, आप बेहतर इलाज करने की तरीका साइंस एवं टेक्नोलॉजी में ढूंढ सकते हैं और बेहतर स्वास्थ्य के लिए अधिक प्रभावी तकनीक विकसित कर सकते हैं। पीने के पानी की समस्या से निबटने के लिए रिसायकल एवं कंजर्वेशन से जुड़ी नई तकनीक विकसित कर सकते हैं। यह बड़ी चुनौती हे कि क्या हम कोई ऐसा सिस्टम बना सकते हैं जिससे हमारे संवेदनशील संस्थानों को ऐसी साइबर सुरक्षा मिल सके कि उसे भेदना नामुमकिन हो जाए।
साइंस को सामान्य मानवीय के जीवन से जोड़ना है
उन्होंने कहा, क्या हम सौर ऊर्जा के क्षेत्र में से समाधान कर सकते हैं, जो बहुत ही कम कीमत पर गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए भी उपलब्ध हो सके। हमें इन सवालों के जवाब खोजने होंगे और साइंस को सामान्य मानवीय के जीवन से जोड़ना है। हमें दुनिया में लीडरशिप लेनी है और अपने संकल्पों को पूरा करके दिखाना है। हमें समय के अनुरूप समस्याओं का समाधान करने होंगे, वह भी समय सीमा के अंदर।
दुनिया में प्रतिस्पर्धा नहीं करनी है श्रेष्ठता दिखानी
उन्होंने कहा, दोस्तों 2018 भारत के विज्ञान के लिए बहुत ही अच्छा साल रहा। मेडिसिन क्षेत्र में उपकरण सस्ते दामों में उपलब्ध कराने के लिए अच्छी पहल हुई है। हमें दुनिया में प्रतिस्पर्धा नहीं करनी है श्रेष्ठता दिखानी है। हमें देश को उस स्तर पर ले जाना है जिससे दुनिया भारत के पीछे चल पड़े। इसके लिए रिसर्च का इकोसिस्टम बनाना है। हमें आने वाले समय में नॉलेज वर्ल्ड सोसायटी के लाइन में खड़े होना है।
हम दुनिया में अपना पुराना रुतबा हासिल करें
मोदी ने कहा, हमें विधाओं के बंधन से मुक्त होकर शोध करना है। ऐसी रिसर्च की जरूरत है कि हम आज सोशल साइंस टेक्नोलॉजी का विकास हो। हमारा प्राचीन ज्ञान शोध पर ही आधारित रहा है। हमारे पूर्वजों ने विज्ञान से लेकर कला से संस्कृति और चिकित्सा के क्षेत्र में खोज व शोध से दुनिया को प्रकाशित किया है। अब समय आ गया है कि भारत दुनिया में उसी स्थान को फिर से हासिल करें। यह तभी संभव है जब दुनिया की तीन सबसे अर्थव्यवस्था में एक बनकर दुनिया को दिशा दे।
खून में हीमोग्लोबिन में कम होने की समस्या समप्त करनेवाली जीन की हो रही है खोज
उन्होंने कहा कि सामान्य मानवीय जीवन में साइंस एवं टेक्नोलॉजी से परिवर्तन लाया जा सकता है और इस दिशा में लगातार प्रयास जारी हैं। हमारे वैज्ञानिक ऐसी जीन थेरेपी की खोज कर रहे हैं जिससे खून में हीमोग्लोबिन में कम होने की समस्या समाप्त हो। देश की बड़ी आबादी एनीमिया से जूझ रही है। इससे बहुत बड़ी राहत मिलेगी। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व राष्ट्रपति डाॅ; अब्दुल कलाम की चर्चा की।
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