नई दिल्ली। राजनीतिक बयानों के चलते हनुमान पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में हैं। इसके पीछे की वजह हम सभी जानते हैं। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से नेताओं ने हनुमान को लेकर जिस तरह से बयान दिए हैं उनके मुताबिक अब हनुमान कुछ जाति विशेषों से निकलकर आगे की राह पकड़ चुके हैं। इनमें किसी ने हनुमान को दलित बताया तो किसी ने जाट बता दिया। कुछ ने इससे एक हाथ आगे निकलकर उन्हें मुसलमान बताने से भी परहेज नहीं किया। हालांकि संत समाज ने भगवान हनुमान को लेकर हो रही बयानबाजी पर कड़ी आपत्ति जताई थी। 13 अखाड़ों की शीर्ष संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना था कि जो अज्ञानी राजनेता बजरंग बली की जाति-धर्म को लेकर अनुचित बयानबाजी कर रहे हैं, वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। उन्हें अपने दिमाग का इलाज कराना चाहिए। हनुमान भगवान शंकर के रुद्रावतार हैं। भगवान को जातियों में नहीं बांटा जा सकता। दरअसल, इस पूरे मामले की शुरुआत पिछले दिनों हुए पांच राज्यों के चुनाव के दौरान हुई थी। पहले एक नजर इस मामले में किसने क्या कहा पर नजर डाल लेते हैं।
योगी आदित्यनाथ
राजस्थान चुनाव के दौरान अलवर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी की जाति को लेकर बयान दिया था। इस दौरान उन्होंने हनुमान जी को दलित बताया था। उनका कहना था कि बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वंय वनवासी हैं, निर्वासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं। भारतीय समुदाय को उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूरब से पश्चिम तक सबको जोड़ने का काम बजरंगबली करते हैं।
सावित्री बाई फूले
भगवान हनुमान के विवाद में कूदते हुए बहराइच से भारतीय जनता पार्टी की सांसद ने सावित्री बाई फुले ने सीएम योगी के दावों का समर्थन कर इस मामले को और तूल दे दिया। उन्होंने कहा कि हनुमान दलित थे और मनुवादियों के गुलाम थे। वह यहां पर ही नहीं रुकी। उन्होंने अपने बयान में भगवान राम पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उनका कहना था कि यदि भगवान राम का बेड़ा पार लगाने का काम हनुमान ने किया था तो फिर उन्हें बंदर क्यों बनाया, उन्हें इंसान बनाना चाहिए था। उनके मुताबिक ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि वह दलित थे और उनका अपमान करने के लिए ही यह सब किया गया।
चंद्रशेखर रावण
हनुमान पर सियासी पारा गरम होते ही भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण ने हनुमान मंदिरों की कमान दलितों के हाथों में सौंप दिया जाए। उनका कहना था कि इन मंदिरों में पुजारियों के तौर पर दलितों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
सत्यपाल सिंह
इस मामले में जब केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह कूदे तो यह मामला और गरम हो गया। उन्होंने हनुमान को आर्य बताया और कहा कि भगवान राम और हनुमान जी के युग में इस देश में कोई जाति व्यवस्था नहीं थी। न कोई दलित था और न ही कोई वंचित और शोषित था। उन्होंने इसके लिए रामचरितमानस का भी उदाहरण दिया और इसके आधार पर हनुमान को आर्य बता दिया।
बुक्कल नवाब
भाजपा के विधायक बुक्कल नवाब ने इन सभी से आगे बढ़कर हनुमान जी को मुसलमान बता दिया। उनका कहना था कि हनुमान जी मुसलमान थे, इसलिए इस्लाम में रहमान, रमजान, फरमान, जीशान, कुर्बान जैसे नाम रखे जाते हैं। जबकि हिंदू धर्म में इस तरह के नाम नहीं मिलते हैं।
लक्ष्मी नारायण सिंह
योगी सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण का कहना था कि हनुमान जाट थे। इसके पीछे उनका तर्क था कि किसी को भी परेशानी या फिर मुश्किल में पड़ा देखकर जाट किसी को जाने बिना भी बचाने के लिए कूद पड़ता है। यही क्वालिटी हनुमान में थी इसलिए वह जाट थे।
चेतन चौहान
यूपी के खेल और युवा कल्याण मंत्री चेतन चौहान ने हनुमान को खिलाड़ी बताया है। उन्होंने अपने इस दावे के समर्थन में दलील भी दी है। उनके मुताबिक हनुमान जी कुश्ती लड़ते थे और खिलाड़ी भी थे। देश के पहलवान उनकी पूजा करते हैं।
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