नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद मामले की जल्द सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जनवरी से सुनवाई शुरू करना तय किया जा चुका है। इसलिए त्वरित सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है।
इससे पहले अयोध्या विवाद पर 29 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी। इस दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने सुनवाई तीन महीने के लिए टाल दी थी। बेंच ने कहा था कि रोज सुनवाई की तारीखें जनवरी में तय की जाएंगी।
शीर्ष अदालत ने सोमवार को दो अन्य याचिकाओं को भी रद्द कर दिया। इनमें से एक याचिका में विधायकों और सांसदों द्वारा अपने कामकाज का मासिक ब्योरा वेबसाइट पर डालने की मांग की गई थी। वहीं, दूसरी याचिका मणिपुर फर्जी मुठभेड़ केस से जुड़ी थी। याचिका में सेना के 300 अफसरों ने दो जजों को सुनवाई से हटाने की मांग की थी।
बेंच की टिप्पणी से जवानों को पक्षपात होने का डर
सेना के करीब 300 जवानों और पूर्व सैन्यकर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस यूयू ललित की बेंच से नहीं कराने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि दोनों जजों की बेंच की ओर से आरोपियों को हत्यारा कहा गया था। इससे जवानों को पक्षपात होने का डर है।
दुष्कर्म के मामलों से जुड़े कानूनों की समीक्षा पर तुरंत सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिनल जस्टिस सोसाइटी ऑफ इंडिया की उस याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें दुष्कर्म के मामलों से निपटने के मौजूदा कानूनों की समीक्षा करने और उनमें संशोधन करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में अभी दखल नहीं देना चाहते। इस मामले में संसद को ही विचार करना चाहिए।
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