मुकेश अवस्थी, भोपाल.
मध्यप्रदेश की सियासत में इन दिनो क्या ठीक ठाक नही चल रहा है, क्या खुद सत्ता में बैठे लोग ही अब भाजपा को मौका दे रहे है, ऐसे कई सवाल है जो कांग्रेस के अदंरखाने में पनप रही गुटबाजी को उजागर कर रहे है. बता दें कि पूर्व मुख्यमंञी और कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह को लेकर वनमंञी उमंग सिंगार ने मोर्चा खोल कर शाबित कर दिया कि सरकार में कसावट नही है, वही पूर्व पीसीसी अध्यक्ष अरूण यादव ने भी अब टवीटर जंग की शुरूआत करते हुए बता दिया कि जिस पार्टी के लिए उन्होने खून बहा दिया आज सत्ता में आने के बाद नेताओ द्वारा उन्हे हासिए पर लाने का प्रयास किया जा रहा है.
कांग्रेसियो के लिए भले ही 15 साल के वनवास के बाद सूवे में सत्ता मिली हो, लेकिन वे सत्ता को संभालाकर रखना नही चाहते है, जिसकी खास बजह सूबे की कमलनाथ सरकार में कसावट का न होना है, मंञी अब अपने अपने नेताओ को प्रदेश में मुख्य जिम्मेदारी वाले पदो पर देखना चाहते है. जिसके चलते सिधिया सर्मथक और प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंञी इमरती देवी ने अपने नेता के लिए खुलकर लाविग कर दी, इमरती देवी ने सिंधिया के महाराष्ट चुनाव प्रभारी बनाए जाने पर साफ कह दिया था कि महाराज को जो भी जिम्मेदारी देना है मध्यप्रदेश में देना चाहिए महाराष्ट्र में उन्हे कौन पूछ रहा है. वही तबादला उधोग के चलते पूर्व मुख्यमंञी दिग्विजय सिंह द्वारा मंञियो को दिये गए कामो को लेकर जब उन्होने पञ लिख कर मंञियो से समय मांगा तो उनका लिखा पञ वायरल हो गया, जिससे अलग अलग गुटो के मंञियो ने दिग्गी द्वारा लिखे पञ को अपना रूख भी साफ कर दिया. जमना देवी के पुञ वन मंञी उमंग सिंगार ने साफ कह दिया कि प्रदेश की सरकार को पर्दे के पीछे से दिग्वियज सिंह ही चला रहे है, उन्हे पञ लिखने की क्या जरूरत पड गई. उमंग सिंगार के बयान के बाद अब पूर्व पीसीसी अध्यक्ष अरूण यादव का दर्द भी छलक गया यादव ने टवीटर पर लिखा है कि उनके द्वारा भ्रष्ट सरकार के खिलाफ अपना खून बहा कर मेहनत की है, बता दें कि प्रदेश में कमलनाथ सरकार तो बन गई लेकिन तीनो बडे नेताओ में समन्वय नही बन सका, बहुमत के आंकडो तक ले जाने में प्रदेश के सभी नेताओ की मेहनत लगी है, जिसके चलते अब पीसीसी अध्यक्ष सहित महत्वपूर्व जिम्मेदारी के लिये सिंधिया सहित दिग्वजय सिंह के बीच शीत युदध साफ देखा जा रहा है. बता दे कमलनाथ अभी सीएम पद के साथ साथ पीसीसी चीफ का पद भी संभाले हे, ऐसे में सत्ता और सरकार दोनो को एक साथ लेकर चलना कमलनाथ के लिये नामुमकिन है, अब सरकार के साथ प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए एक मजबूत और लोक प्रिय चेहरे की जरूरत है जो पीसीसी अध्यक्ष का पद संभाल कर साल के अंत तक हो सकने वाले नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी को नई उर्जा देने में सहायक सिदध हो सके. बता दे कि पीसीसी अध्यक्ष पद के लिए सरकार में गृहमंञी बाला बच्चन सहित आदिवासी चेहरे के रूप में ओमकार सिंह मरकाम का नाम सामने आ रहा है, लेकिन कांग्रेस की अभी जो हालत है उसे देखते हुऐ प्रदेश में किसी बडे नेता को कमान देने की जददोजहद चल रही है जिसकी छवि साफ सुथरी हो और वह जनता के बीच अपनी पैठ बनाने के साथ्ा सभी गुटो के कार्यकर्ताओ को एक साथ एकमंच पर लाकर खडा कर सके, सूञो का कहना है कि अंतिम समय में ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह सा इनके किसी अतिकरीबी को पीसीसी अध्यक्ष की कमान जल्दी ही दी जा सकती है, लेकिन हाल फिलहाल मंञी उमंग सिंगार, इमतरी देवी सहित अरूण्ा यादव द्वारा जो तकलीफ बयां की गई है वो सत्ताधारी पार्टी के लिए शुभसंकेत नही है.
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