कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार को गिराने के लिए भाजपा ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। जिसके बाद से कांग्रेस को अब लग रहा है कि मध्यप्रदेश में भी भगवा पार्टी अपना प्रभाव दिखा सकती है।
बता दें कर्नाटक में एच डी कुमारस्वामी नीत कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार से दो विधायकों ने मंगलवार को अपना समर्थन वापस ले लिया। एच नागेश (निर्दलीय) और आर शंकर (केपीजेपी) ने राज्यपाल वजुभाईवाला को पत्र लिख कर अपने इस फैसले से अवगत कराया।
अलग-अलग पत्रों में विधायकों ने कहा है कि वे कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को दिया अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस ले रहे हैं। मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए इन विधायकों ने राज्यपाल से आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है। कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर विधायकों को प्रलोभन देने का आरोप लगा रही हैं।
कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा है, “हालांकि वे भोपाल में हमसे टकराने की कोशिश करने जा रहे हैं।” बता दें मध्यप्रदेश में कुल 230 सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस ने 114 जीती थीं। भाजपा को 109 सीटें मिलीं, बसपा को 2, समाजवादी को एक और निर्दलीय को 4। भाजपा ने दिसंबर में राज्य में 15 सालों से चली आ रही सत्ता को खो दिया। भाजपा को बहुमत से 7 सीटें कम और प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से 5 सीटें कम मिलीं।
भाजपा के दो दिग्गज नेता खुले आम कमलनाथ सरकार को गिराने की चेतावनी दे रहे हैं। भाजपा महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बाद अब नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव भी कह रहे हैं कि जब तक मंत्रियों के बंगले पुतेंगे कांग्रेस सरकार गिर जाएगी। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था बस हाईकमान को छींक आ जाएं, बॉस का इशारा हो जाए, कमलनाथ सरकार पांच दिन में गिरा देंगे।
कांग्रेस सरकार के पार्टी में जीतने के बाद कमलनाथ को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया, जिन्हें एक चतुर नेता के तौर पर देखा जाता है। यहां कांग्रेस के पास भी बहुमत का आंकड़ा नहीं था। जिसके बाद पार्टी को बसपा के 2, सपा का 1 और 4 निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन मिला और पार्टी की सरकार बनी।
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