आॅपरेशन-क्लीनबोल्ड पार्ट-प्प् ‘बुन्देलखण्ड पैकेज’ की लूट का भंडाफोड़, ‘मामा सरकार’ का है भ्रष्टाचारियों से गठजोड़

कांग्रेस-यूपीए सरकार ने बुन्देलखण्ड में 2004 से लगातार भयंकर सूखे को देखते हुए एक ‘इंटर मिनिस्टीरियल केंद्रीय दल’ का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट अप्रैल 2008 में प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस-यूपीए सरकार ने उत्तर प्रदेश को 3506 करोड़ रुपये व मध्यप्रदेश को 3760 करोड़ रुपये के ‘स्पेशल बुंदेलखंड पैकेज’ का प्रावधान किया। इसमें मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड कहे जाने वाले  6 जिलों, सागर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, दतिया के विकास के लिए यह पैकेज दिया गया था, जिसमें कृषि, पशुपालन, ग्रामीण विकास, जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण और पब्लिक हैल्थ इंजीनियरिंग (ड्रिंकिंग वाटर) मंत्रालयों के तहत बुन्देलखण्ड का विकास किया जाना था।

दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि बुन्देलखण्ड को पिछड़ेपन से उबारने वाले इस पैकेज से भाजपा नेताओं और मंत्रियों ने खूब चांदी लूटी और पूरे बुन्देलखण्ड पैकेज को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया। आज भी बुन्देलखण्ड झूठे विकास के नाम पर आँसू बहा रहा है और शिवराज सरकार बुन्देलखण्ड पैकेज के भ्रष्टाचार से फलफूल रही है।

शिवराज सरकार की यह पहचान बन गई है कि वह भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले शख्स को सबसे पहले डुबाने की कोशिश करती है। जिस प्रकार ई-टेंडरिंग घोटाले में जिम्मेदार प्रमुख सचिव, मनीष रस्तोगी को रास्ते से हटाया गया, उसी प्रकार बुन्देलखण्ड पैकेज में भी भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले जिम्मेदार प्रमुख सचिव,   श्री अश्विनी राय को भ्रष्टाचार उजागर करने का दण्ड भोगना पड़ा।

बुन्देलखण्ड पैकेज में खुली लूट का सनसनीखेज पर्दाफाश

यूँ तो पूरे बुन्देलखण्ड पैकेज में भीषणतम भ्रष्टाचार किया गया है, मगर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका के आदेश 24.11.2014 के आधार पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन हुआ। इस समिति ने अपनी जाँच रिपोर्ट   13.07.2015 को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव को सौंप दी। इसकी प्रतिलिपि संलग्नक ।1 संलग्न है।

इस जाँच में कई गंभीर खुलासे हुए:-

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।. इन 6 जिलों में 1287 नल-जल योजनाओं में से 997 नल-जल योजनाओं में करोड़ों रुपये का भीषणतम भ्रष्टाचार हुआ। कमाल की बात यह है कि 1287 नल-जल योजनाओं में से 997 नल-जल योजनाएं बंद पाई गईं व 18 योजनाएं शुरु ही नहीं हुईं।  ।।. नल जल योजना में बिछाई गई पाइप लाईन, पम्प हाउस, क्लोरीनेटर्स इत्यादि में बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। इतना ही नहीं, लगाये गये कुल 1017 क्लोरीनेटर्स में से मात्र 34 ही चालू पाये गये। ।।।. बुंदेलखंड पैकेज में सभी नल-जल योजनाओं की ‘इकाॅनाॅमिक आॅफेंस विंग’ (आर्थिक अपराध शाखा) से जाँच करवाने की सिफारिश की गई। इस आदेश की प्रतिलिपि संलग्न ।2 देखें।

इस बड़े भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए शिवराज सरकार ने पहला षड़यंत्र किया और इकाॅनाॅमिक आॅफेंस विंग से जाँच न करवा 11.09.15 को एक पुर्नजांच पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग के अधिकारियों से करवाने का निर्णय लिया। इसकी प्रतिलिपि ।3 देखें। मामा सरकार का और कमाल देखिए। बुंदेलखंड विशेष पैकेज की पुर्नजाँच उसी अधिकारी से करवाने का आदेश दे डाला, जो दोषी पाया गया था। इस बारे बाकायदा एक पत्र, डाॅ. अमिताभ अवस्थी, उप सचिव, पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग द्वारा दिनांक 16.10.15 को शिवराज सरकार को लिखा गया। संलग्नक ।4 देखिए। इसे कहते हैं, ‘बिल्ली को दूध की रखवाली पर बैठाना’।

शिवराज सरकार का षड़यंत्र यहां भी समाप्त नहीं होता। शिवराज सरकार ने दूसरा षडयंत्र करते हुए इकाॅनाॅमिक आॅफेंस विंग पर दबाव बनाकर यह कहलवा दिया कि जाँच का वृहद स्वरूप होने एवं तकनीकी अमला उपलब्ध न होने से वे यह जाँच करने में असमर्थ हैं। तत्पश्चात् पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग ने यह भी कहा कि अगर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के पास तकनीकी अमला नहीं है, तो लोकायुक्त संगठन को यह प्रकरण सौंपा जाना चाहिए।

शिवराज सरकार के षड़यंत्र की तीसरी कड़ी यह है कि प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन ने एक अजीबो-गरीब आदेश पारित किया कि ‘अन्य विभागों के अधिकारियों का जाँच दल गठित कर प्रकरण की जाँच हो।’ संलग्नक ।5 देखिए।

षडयंत्र की चैथी कड़ी यह है कि इस सारे मामले को ‘विभागीय जाँच’ में बदलकर लीपापोती कर दी गई। न पूरे फर्जीवाड़ा की एफआईआर दर्ज हुई, न आर्थिक अपराधा शाखा के द्वारा जाँच हुई, न लोकायुक्त संगठन के द्वारा जाँच हुई और न ही सीबीआई जैसी किसी एजेंसी के द्वारा। न ही किसी को सजा मिली, न ही कोई जेल गया और बुंदेलखंड स्पेशल पैकेज लुट गया।

जन आयोग करेगा जाँच

कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान सहित बुंदेलखंड स्पेशल पैकेज से संबंधित सभी मंत्रियों व आला अधिकारियों की समयबद्ध जाँच करवाएगी। दोषियों की जगह जेल की सलाखों के पीछे होगी।

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