होलाष्टक प्रारंभ – जाने होलाष्टक क्या है , क्या करें क्या न करे

*होलाष्टक विशेषांक*
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में होली से आठ दिन पूर्व शुभ कार्यों के करने की मनाही होती है. होली से पूर्व के इन आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है. इस साल होलाष्टक कुछ मत अनुसार 2 मार्च एवं कुछ के मतानुसार 03 मार्च से शुरू हो रहा है जो कि होलिका दहन (9 मार्च ) के दिन तक रहेगा।
होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है.
किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों नहीं किए जाते।

*अलग-अलग मत क्यों* कुछ पंचांग या कुछ ज्योतिष आचार्य होली के 8 दिन पहले से ही होलाष्टक मानते हैं। कुछ पंचांग या ज्योतिषाचार्य फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से होलाष्टक मानते हैं।
इस इस साल फाल्गुन अष्टमी तिथि 2 मार्च यानी आज दोपहर 12:52 से प्रारंभ हो रही है परंतु सूर्योदय की तिथि नहीं है जो लोग सूर्योदय तिथि को ही मानते हैं। वे सभी होलाष्टक कल 3 मार्च से मानेंगे क्योंकि सूर्योदय अष्टमी तिथि कल से ही प्रारंभ होगी। इस कारण से अलग-अलग पंचांगओ में मत अलग है किसी पंचांग में 2 मार्च किसी पंचांग में 3 मार्च बता रहा है।

*आचार्य शिव मल्होत्रा इटारसी वाले मत अनुसार* फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि आज दोपहर 12:52 से प्रारंभ हो रही है अतः आज दोपहर 12:52 से ही होलाष्टक माना जाना चाहिए।

*विशेष परिस्थिति में पूजन विधि का समय*
भूमि पूजन, गृह प्रवेश मुहूर्त आज कई पंचांग मैं दिया हुआ है और कुछ ने तो आज भूमि पूजन की तैयारी भी कर रखी है काफी फोन आप लोगों के आए हैं। अगर आपने भूमि पूजन या गृह प्रवेश की तैयारी कर रखी है और आप पूजन करना चाहते हैं तो राहु काल के पश्चात प्रातः 9:37 से दोपहर 12:52 तक पूजन कर सकते हैं।
*~ आचार्य शिव मल्होत्रा, इटारसी*