ज्यादा राजस्व के लिए भाजपा सरकार की शराब बेचने की नीति बदलेगी कांग्रेस सरकार

भोपाल। शराब बिक्री के लाइसेंस की भाजपा शासनकाल से चली आ रही व्यवस्था को कांग्रेस सरकार ने बदलने की तैयारी कर ली है। मौजूदा आबकारी नीति के हिसाब से शराब कारोबारी लगातार तीन साल से 15 फीसदी राशि बढ़ाकर शराब दुकानों का लाइसेंस ले रहे हैं। इस बार लाइसेंस नवीनीकरण के लिए उन्हें कम से कम 25 फीसदी तक राशि बढ़ाकर देना होगा। यह व्यवस्था भी सिर्फ वर्ष 2019-20 के लिए ही होगी। इसके बाद आबकारी नीति में बदलाव करके कांग्रेस सरकार शराब दुकानों की नीलामी करेगी।
बताया जा रहा है कि आबकारी नीति में बदलाव नए वित्तीय वर्ष के लिए किया जाना था, लेकिन मार्च के पहले सप्ताह में लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लगने की संभावना है। एक अप्रैल से नया लाइसेंस जारी होना है, इसलिए सरकार को फरवरी में ही लाइसेंस नवीनीकरण करना होगा। ऐसे में नीति में बदलाव का असर वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिखाई देगा। फिलहाल 2019-20 के लिए लाइसेंस फीस को पिछले साल से बढ़ाकर 25 फीसदी तक किया जा सकता है।

तो मिलेगा 12 हजार करोड़ तक रेवेन्यू: चालू वर्ष में आबकारी से राज्य सरकार के खजाने में 9000 करोड़ रुपए आएंगे। पिछली बार की तरह यदि राज्य सरकार 15 प्रतिशत लाइसेंस फीस बढ़ाती तो 1500 से 1800 करोड़ रुपए का फायदा होता। अब इसे कम से कम 25 फीसदी करने की तैयारी है, जिससे राजस्व में ढाई से तीन हजार करोड़ रुपए की वृद्धि होगी। यानी सरकार को वर्ष 2019-20 में 12 हजार करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। इसमें भी सबसे ज्यादा राजस्व इंदौर से करीब 800 से 1000 करोड़ रुपए और भोपाल से 550 से 600 करोड़ रुपए आता है। इंदौर में 150 और भोपाल में 90 के करीब दुकानें हैं।

भाजपा सरकार की ये थी पॉलिसी : 2015-16 में भाजपा सरकार ने शराब कारोबार के सिंडीकेट को तोड़ने के लिए व्यवस्था की थी कि हर जिले का अलग-अलग आक्शन होगा। इसके बाद सरकार एक तय प्रतिशत बढ़ाकर दुकानों का नवीनीकरण कर देगी। तब से 15 प्रतिशत राशि बढ़ाई गई। लेकिन सिंडीकेट को सरकार तोड़ नहीं पाई। बड़े कारोबारियों ने दूसरे जिले में नए व करीबियों के नाम से कंपनी बनाई और ठेका ले लिया।