इंजीनियर पत्नी ने प्रोफेसर पति को जेल भिजवाया, तलाक दिया… 3 साल बाद फिर रहना चाहती है साथ

भोपाल . तलाक के तीन साल बाद महिला का हृदय परिवर्तन हुआ और उसने पति के साथ दोबारा शादी कराने का आवेदन जिला सेवा विधिक प्राधिकरण में दिया। प्राधिकरण ने मामले में काउंसलिंग के लिए पति को बुलाया है। काउंसलिंग से पहले पति का कहना है कि वह पत्नी को साथ रखना नहीं चाहता। उसका कहना है कि पत्नी की वजह से उसे और उसके परिवार को जेल में रहना पड़ा। इसके चलते मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना भी झेलना पड़ी। हालांकि पति ने दूसरी शादी नहीं की है, इसलिए काउंसलिंग के माध्यम से दोनों की री-मैरिज करने का प्रयास किया जा रहा है।

मां, भाई और बहन हड़प लेते हैं भरण पोषण की राशि
अयोध्या नगर निवासी महिला ने आवेदन में बताया कि 14 फरवरी 2012 को उसकी शादी एक निजी कॉलेज मेंे पढ़ाने वाले प्रोफेसर से हुई थी। जनवरी-2016 में उसका पति से तलाक हुआ था। इसके बाद ही उसे अपने परिजनों की असलियत पता चली। परिजन पति द्वारा दिए जाने वाली भरण-पोषण की राशि हड़प लेते हंै। मां, भाई और बहन ने उसका जीवन नर्क कर दिया है। उससे बहुत बड़ी गलती हुई है। वह अपने पति के पास जाना चाहती है। काउंसलर को महिला ने बताया कि वो खुद भी साॅफ्टवेयर इंजीनियर है। उसका आरोप है कि मायके वालों ने झगड़ा सुलझाने की जगह दोनों के बीच की खाई और बढ़ा दी। तलाक के बाद वह डिप्रेशन में चली गई। इसकी वजह से उसकी नौकरी छूट गई। उसने अपना जीवन भाई-बहन को समर्पित कर दिया और जमा पूंजी उनकी शादी में खर्च कर दी। भाई की शादी के बाद मां ने भी साथ देना बंद कर दिया। उसके बाद भाई , भाभी और मां ताने मारने लगे। हद तो तब हो गई जब भाई ने उसके साथ मारपीट की और घर से निकाल दिया, तब पता चला कि उसने तलाक लेकर गलती की।

पति ने कहा- नहीं करना दोबारा शादी, अपमानित किया था
काउंसलर नुरुनिसा ने बताया कि इस मामले में पति ने शादी करने से इंकार कर दिया है। उसका कहना है कि पत्नी ने 498 ए, घरेलू हिंसा, भरण-पोषण का केस दर्ज कराया था। इस वजह उसे समाज में अपमानित होना पड़ा। इधर, जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव आशुतोष मिश्रा का इस मामले में कहना है कि तलाक के बाद दोनों की रि-मैरिज हो सकती है। पति और पत्नी दोनों ने शादी नहीं की है इसलिए दोनों री-मैरिज की काफी गुंजाइश है। काउंसलिंग से मामला सुलझ सकता है।

इधर, तलाक के बाद बीमार हुई पत्नी तो उसी से दोबारा शादी
काउंसलर संगीता राजानी ने बताया कि एक मामले में पत्नी से तलाक लेने के बाद पति ने देखा कि उसकी पत्नी गंभीर रूप से बीमार हो गई है। कुछ दिन तो उसने पत्नी की सेवा की। कुछ दिन बाद वह तलाक की डिक्री कैंसिल करने के लिए आवेदन देने पहुंचा। जहां पर उसे सलाह दी गई की वह री-मैरिज कर ले। उन्होंने बताया कि दोनों ने मई 2018 में रि-मैरिज कर ली। प्राधिकरण के सचिव आशुतोष मिश्रा का कहना है कि कोर्ट में चल रहे तलाक के 33 प्रतिशत मामले में आपसी समझौते की गुंजाइश होती है।