सीएम को विदिशा जाने से रोकने के मामले में सीईओ ने कहा- मुझे कोई लिखित आवेदन नहीं मिला

भोपाल. विदिशा के एक भाजपा कार्यकर्ता रघुवीर दांगी के अंतिम संस्कार में जाने के लिए 27 नवंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किसने रोका? यह बड़ा सवाल इसलिए खड़ा हो गया है क्योंकि, निर्वाचन आयोग मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) वीएल कांताराव का कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई लिखित आवेदन नहीं मिला कि सीएम को वहां जाना है।

27 नवंबर को चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे ओपी रावत ने भी कहा है कि ऐसा तो कुछ नहीं हुआ। 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने प्रेस काॅन्फ्रेंस बुलाकर यह कहा था कि कांग्रेस की तुलना में चुनाव आयोग ने भाजपा पर ज्यादा सख्ती की। प्रताड़ित तक किया। प्रचार थमने के दूसरे दिन 27 नवंबर को मुझे अंतिम संस्कार में विदिशा जाना था, लेकिन आयोग ने अमानवीयता दिखाते हुए मंजूरी नहीं दी। इस बयान के बाद ‘भास्कर’ ने मप्र के सीईओ से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी जानकारी से इनकार किया।

आयोग अमानवीय नहीं, नियमों के आधार पर काम करता है :

क्या सीएम को अंत्येष्टि में जाने से रोका गया?
आयोग कभी ऐसा नहीं करता। वह निष्पक्ष और बिना भेदभाव के काम करता है। नियम है कि ऑफिशियल ड्यूटी पर जाया जाए तो तुरंत वापस आना होता है। वह कोई पब्लिक मीटिंग नहीं कर सकता। सिर्फ प्रधानमंत्री ऑफिशियल ड्यूटी के साथ सभा कर सकते हैं। मुख्यमंत्री यदि जाते तो उन्हें तुरंत भोपाल लौटना होता। जहां तक जाने की मंजूरी देने का प्रश्न है तो यह काम सीईओ का है।

चुनाव सही ढंग से हुए हैं तो आरओ, एसडीएम और पुलिस कर्मचारियों पर कार्रवाई क्यों हो रही है ?
2008 और 2013 के चुनाव में भी 25-30 लोग सस्पेंड हुए थे या हटाए गए थे। जो गलती करेगा, उस पर कार्रवाई तो होगी।

मुख्यमंत्री ने अमानवीयता बरतने की बात की है। ऐसे में निष्पक्षता किस आधार पर कही जाएगी?
आयोग की पूरे विश्व में निष्पक्ष और पारदर्शी होने की छवि है। आयोग अमानवीय नहीं है। वह नियमों पर काम करता है।

तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त रहे ओपी रावत से सीधी बात )
भाजपा को शिकायत
1. पन्ना कलेक्टर ने भाजपा उम्मीदवार के लिए सख्ती ज्यादा की। इसकी शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
2. शाजापुर जिले की शुजालपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रामवीर सिंह सिकरवार को शिकायत के बाद भी नहीं रोका गया।
3. शहडोल और उमरिया में आयोग के स्थानीय अधिकारियों ने घर-घर जाकर भाजपा के झंडे और बैनर फाड़े व निकाले।
4. भोपाल में ही स्ट्रांग रूप में जो प्रत्याशी नहीं है, उसे प्रवेश दिया गया। इसमें सुरेश पचौरी और केके मिश्रा शामिल हैं।
5. अपीलों के निराकरण में भी कांग्रेस के प्रति सहानुभूति रखी गई।
(भाजपा निर्वाचन समिति के मुताबिक, इस बार 400 शिकायतें भाजपा ने की हैं।)

खुद को महारानी समझ रही हैं रीवा कलेक्टर :

भाजपा निर्वाचन आयोग समिति के प्रमुख शांतिलाल लोढ़ा ने फिर रीवा कलेक्टर पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वो खुद को महारानी समझ रही हैं। लोकतंत्र में कोई गोली चलाने की बात करता है। स्ट्रांग रूम में कोई घुसे तो उसे अरेस्ट करो। गोली तो वहां चलाई जाती है, जहां लोग आपसे ज्यादा पॉवर फुल हैं।

विधानसभा ने नियुक्ति की कोई जानकारी नहीं दी :
विधानसभा में आचार संहिता के बीच सचिव के रिक्त पद पर रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज शिशिर चौबे की संविदा नियुक्ति के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने बताया कि उन्हें अब तक नियुक्ति के संबंध में विधानसभा से कोई जानकारी नहीं मिली।

चुनाव के दौरान विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से अधिकारियों की मिलने वाली शिकायत के संबंध में कांताराव ने कहा कि जांच में अगर कोई दोषी पाया जाएगा तो कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि खुरई से सागर ईवीएम भेजने में 48 घंटे का समय लगने के कारण चुनाव आयोग ने खुरई के रिटर्निंग ऑफिसर को हटा दिया था।