मुकेश अवस्थी।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में वापिस भेजने की चावी सरकारी कर्मचारियों के हाथ मे है, प्रदेश के 40 लाख के लगभग सत्ता के दरबाजे की चाबी हाथ मे लिये बैठा है, इतना ही नही सरकारी कर्मचारियों के साथ साथ उनके परिवार के वोटर्स भी सरकार को पलट सकते हैं। क्योंकि पुरानी पेंशन कर्मचारियों के बुढ़ापे का सहारा है और हर कर्मचारी इस सामाजिक सुरक्षा को पाना चाहता है।
बता दे कि राजस्थान , छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने अपने राज्यो में पुरानी पेंशन लागू कर दी है और इससे उन राज्यो के कर्मचारी बहुत खुश भी है। लेकिन 20 सालों से अधिक समय से पुरानी पेंशन योजना को लागू करने कई कर्मचारी संगठन सड़को पर आंदोलन कर चुके है, भूख हड़ताल , धरना प्रदर्शन कर चुके है लेकिन भाजपा की मध्यप्रदेश में सरकार ने पुरानी पेंशन को लेकर कोई निर्णय नही है। इस चुनाव में ऐसे शासकीय कर्मचारी जो 2001 के बाद सेवा में आये है जिनमें संविदा शिक्षक , संविदा स्वास्थ्य कर्मी , वन कर्मी सहित अनेक विभागों के कर्मचारी शामिल है जिन्हें न्यू पेंशन स्कीम से कटौती कर , चंद रुपये ही पेंशन के रूप में दिए जाने का प्रावधान है जो किसी परिवार के जीवनकाल में पर्याप्त नही है। आज सरकारी कर्मचारी हो या निजी कम्पनी के कर्मचारी सभी सोशल सिकुरटी चाहते है। मध्य प्रदेश में 20 सालों की सरकार ने कर्मचारियों को जो सुविधाएं दी है वे नाकाफी समझ आती है , लेकिन कमलनाथ के वचनपत्र में दी गई पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों के लिये बुढ़ापे की लाठी से कम न होगी । सरकार में आने के लिये राजनेतिक दल जब हर हाल में सत्ता में आना चाहते हो तब वे ऐसे किसी मुद्दे को पकड़ लेते है जिसकी कोई काट भी न हो । कांग्रेस की घोषणा के बाद सीएम शिवराज़ ने लाडली बहना योजना लांच की है , जिस पर कई सवाल उठ रहे है। सबसे बड़ा सवाल की ये योजना चुनाव से ठीक पहले ही क्यो , क्या सीएम शिवराज को सरकार से बेदखल होने का डर सता रहा था। 40 हजार करोड़ से भी अधिक का कर्जदार मध्यप्रदेश , फिर भी कर्जा लेकर लाडली बहना को पैसे देना है। इसे मजबूरी ही कही जा सकती है क्योंकि इस योजना का लाभ महिलाओं को शुरू से मिलना चाहिए था। बहरहाल अब