महाशिवरात्रि : एक रात के अंधेरे में बना हजारिया महादेव मंदिर, अब सूरज की पहली किरण से होता है रोज अभिषेक

एक शिवलिंग को देखने से मिलता है एक हजार शिवलिंग दर्शन का पुण्य
विक्रांत राय बीना।
वैसे तो सृष्टि के कण-कण में आदिदेव भोलेनाथ का निवास माना जाता है। लेकिन जब इन कणों को मूर्तिकार तराश देते हैं तो मूर्ति से नजरें नहीं हटतीं। ऐसा ही मढ़बामोरा में एक प्राचीन हजारिया शिव मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां स्थित शिवलिंग को एक बार देखने में एक हजार शिवलिंग के दर्शन होते हैं। कहते हैं यह मंदिर एक ही रात में बनकर तैयार हुआ। भगवान सूर्यदेव स्वयं देवों के देव महादेव को पहले किरण के साथ नमन करते हैं।

बुंदेलखंड व मालवा की सीमा पर स्थित मंडीबामोरा रेलवे स्टेशन से महज पांच सौ मीटर दूर पूर्व दिशा में स्थित यह मंदिर ग्यारहवीं-बाहरवीं सदी में बनकर तैयार हुआ था। हर साल महाशिवरात्रि पर दूर-दूर से भोले के भक्तों का जमावड़ा होता है। एक तरफ जहां आस्था लोगों की आत्मा को तृप्त करती है तो दूसरी एक शिवलिंग में समाहित हजार महादेव आंखों की प्यास बुझा देते हैं। बिना सीमेंट के उपयोग किए चूना और पत्थरों को जमा कर तैयार मंदिर एक हजार साल से यूं ही खड़ा है। मंदिर के गर्भगृह में देवी सती, भगवान गणेश, कार्तिकेय, ब्रह्मा, विष्णु आदि देवता विराजमान हैं तो बाहरी दीवारों पर गंगा-यमुना, कल्पवृक्ष आदि चित्र उकेरे गए हैं। कहते हैं यह मंदिर एक ही रात में बनकर तैयार हुआ था। इतिहासकार डॉ. मोहनलाल चढ़ार के मुताबिक परमारकाल का यह पहला हजारिया महादेव मंदिर है। पूर्व दिशा की तरफ मुंह होने से सूर्य की किरणें सीधी गर्भगृह में पहुंचती हैं। यह प्राचीन राजमार्ग पर बना मंदिर है पहले यहां से विदिशा, भोजपुर होते हुए नर्मदा किनारे से महेश्वर तक पहुंच मार्ग मौजूद था।

जगह-जगह बिखरी पड़ी है पुरा संपदा

बुजुर्ग बताते हैं कि मिर्जापुर की बाऊरी, भोजपुर के खम्ब, उदयपुर के देवरा और मढ़बामोरा का मढ़ यह सब एक ही रात में बने थे। मंदिर के आसपास खुदाई करने पर प्राचीन मूर्तियां निकलने लगती हैं। पुरातत्व विभाग ने मंदिर को अपनी देखरेख में लेकर मंदिर के आसपास खुदाई पर रोक लगा रखी है। हिन्दू धर्म के अलावा आसपास जैन धर्म से संबंधित मूर्तियां भी मिली हैं।

महाभारत काल का है इतिहास

इतिहासकार जहां मंदिर को परमारकालीन बताते हैं वहीं स्थानीय लोग ऐसे महाभारत और पांडवों के अज्ञातवास में निर्मित होने का दावा करते हैं। मंडी बामोरा निवासी सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि मंदिर काफी प्राचीन है कई पीढ़ियों से होने की गवाही पूर्वज देते आए हैं। सरकार को इस ऐतिहासिक और आस्था के केंद्र मंदिर पर ध्यान देना चाहिए। व्यवस्थित पहुँचमार्ग न होने से बाहर से आने वाले श्रद्धालु परेशान होते हैं।

सात कन्या एक साथ फेरें लें तो होंगी मालामाल

मंदिर के साथ महाभारतकालीन रहस्यों के साथ कई तरह की किवंदन्ति भी जुड़ी हैं। मंदिर के ऊपर एक कलश रखा है। कहते हैं इसमें सोना चांदी भरा हुआ है। यह खजाना आसानी से नहीं मिल सकता। जब एक साथ सात बहनें एक ही मंडप के नीचे साथ फेरे लेंगी तभी उनके हाथ यह माल-खजाना आएगा। कुछ बदमाशों ने कलश पर बुरी नजर डालकर हथियाने की सोची तो मंदिर के ऊपर चढ़ते ही जहरीले जीव-जंतुओं ने हमला बोल दिया। इसके बाद कोई कलश की तरफ आंख उठाने की हिम्मत नहीं कर पाता।